Bengal Assembly Elections 2021: ममता की कैबिनेट की बैठक के दौरान चार मंत्री रहे गैरहाजिर, सियासी अटकलें शुरू
पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे वन मंत्री राजीव बनर्जी भी बैठक में नहीं पहुंचे तृणमूल खेमे में बढ़ी बेचैनी। ममता सरकार में मंत्री रहे कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी ने चार दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा का दामन थामा है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जारी सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कैबिनेट की बैठक की। सूत्रों के अनुसार इस बैठक के दौरान राज्य के चार मंत्री अनुपस्थित रहे। इसके बाद एक बार फिर सियासी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। इसमें सबसे प्रमुख नाम कद्दावर नेता व वन मंत्री राजीव बनर्जी का है।
राजीव काफी दिनों से तृणमूल नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। राजीव बनर्जी के अलावा कैबिनेट की बैठक से जो मंत्री अनुपस्थित रहे उसमें पर्यटन मंत्री गौतम देव, रवींद्र नाथ घोष एवं चंद्रनाथ सिन्हा हैं। इनमें गौतम देव व रवींद्र नाथ घोष के बारे में कहा जा रहा है कि चूंकि वे उत्तर बंगाल से आते हैं, इसीलिए कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते इतनी दूर से उन्हें नहीं आने के लिए कहा गया था। चंद्रनाथ सिन्हा पुरुलिया से आते हैं। वह भी बैठक से गैरहाजिर रहे। इसमें सबसे ज्यादा राजीव बनर्जी को लेकर चर्चा है। बनर्जी हावड़ा के डोमजूर से विधायक हैं, जो राज्य सचिवालय नवान्न से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बावजूद वे कैबिनेट की बैठक से गैरहाजिर रहे। गौरतलब है कि राजीव बनर्जी सुवेंदु अधिकारी के करीबी माने जाते हैं।
ममता सरकार में मंत्री रहे कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी ने चार दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में भाजपा का दामन थामा है। सुवेंदु के अलावा सात तृणमूल विधायकों और पार्टी के राज्य स्तर के बड़ी संख्या में अन्य नेताओं ने भी शाह की उपस्थिति में भगवा झंडा थाम लिया था। जिसके बाद सत्तारूढ़ दल को बड़ा झटका लगा। इस बीच अब चार मंत्रियों की गैरहाजिरी के बाद तृणमूल खेमे में एक बार फिर बेचैनी बढ़ गई है। गौरतलब है कि राज्य के वन मंत्री राजीव बनर्जी ने पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी के साथ एक दिन पहले ही निजी बैठक की थी। बैठक के बाद राजीव ने कहा-'अभी मुझे कुछ नहीं कहना है। मैं इसलिए आया क्योंकि पार्टी नेतृत्व ने मुझे फोन किया था यानी राजीव ने सस्पेंस को बरकरार रखा है। इससे पहले राजीव ने पार्टी के खिलाफ अप्रत्यक्ष रूप से बयान देकर असंतोष व्यक्त किया था। हावड़ा के डोमजूर और अन्य स्थानों पर उनके समर्थन में पोस्टर और होर्डिंग भी देखे गए थे। राजनीतिक गलियारों में इसको लेकर अफवाहें हैं।