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Bengal Assembly Elections 2021: कोलकाता के नंदीग्राम में दीदी बनाम दादा में एक को चुनना होगा मुश्किल

Bengal Assembly Elections 2021 ममता के नंदीग्राम से चुनाव लड़ने के एलान के बाद से सियासी समीकरण बदले।कई लोगों ने कहा कि तृणमूल के खिलाफ नाराजगी के बावजूद ममता दीदी और सुवेंदु बाबू नंदीग्राम की बेटी और बेटे की तरह हैं। हमारे लिए किसी एक को चुनना मुश्किल होगा।

By PRITI JHAEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 09:20 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 09:20 AM (IST)
Bengal Assembly Elections 2021: कोलकाता के नंदीग्राम में दीदी बनाम दादा में एक को चुनना होगा मुश्किल
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भाजपा में शामिल हो चुके सुवेंदु अधिकारी

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। नंदीग्राम के एक बाजार की गली में एक ओर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और दूसरी ओर उनके पूर्व सहयोगी और अब पाला बदलकर भाजपा में शामिल हो चुके सुवेंदु अधिकारी के लगे कट-आउट इलाके में मौजूदा राजनीतिक माहौल को प्रतिबिंबित करते हैं, जो मुख्यमंत्री बनर्जी के यहां से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद से फिर सुर्खियों में है। सुश्री बनर्जी और अधिकारी दोनों ही नंदीग्राम आंदोलन के नायक रहे हैं। इस आंदोलन में तृणमूल सुप्रीमो पथ प्रदर्शक के तौर पर रहीं तो अधिकारी जमीनी स्तर पर उनके सिपहसालार रहे जो विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के खिलाफ जन आंदोलन को आगे बढ़ाया।

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इस एसईजेड में इंडोनेशिया के सलेम समूह के कैमिकल हब को स्थापित किया जाना था। नंदीग्राम की जमीन ने बंगाल की सियासत में ममता के पांव जमाने में अहम भूमिका निभाई और यहां शुरू हुए आंदोलन से ही उन्होंने सड़कों से सत्ता तक का सफर तय किया। करीब 14 साल पहले तृणमूल का गढ़ बना नंदीग्राम इस बार ‘अपनी दीदी और अपने दादा’ के बीच किसी एक का चयन करने को लेकर दुविधा की स्थिति में है। इस बार विधानसभा चुनाव में इस सीट पर बनर्जी का मुकाबला नंदीग्राम आंदोलन को पोस्ट ब्वॉय सुवेंदु अधिकारी से होने की संभावना है।

ममता के नंदीग्राम से उतरने का एलान से बदला माहौल

भूमि उच्छेद प्रतिरोध समिति (बीयूपीसी) का हिस्सा रहे किसानों का कहना है कि हम आंदोलन के मुश्किल समय को भूल नहीं सकते, जब वह (बनर्जी) और सुवेंदु दा हमारे रक्षक बने। स्थानीय भाजपा नेता ने कहा कि ममदा बनर्जी की चुनाव संबंधी इस घोषणा से जमीनी स्तर पर सामाजिक-राजनीतिक समीकरण बदलने लगे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले माह तक नंदीग्राम में माहौल तृणमूल के पक्ष में नहीं था, लेकिन अगर बनर्जी और अधिकारी दोनों नंदीग्राम से खड़े होते हैं, तो लोग बंट जाएंगे। अगर इनमें से एक भी यहां से चुनाव नहीं लड़ता है, तो एकतरफा मुकाबला हो जाएगा।

किसी एक को चुनना मुश्किल है

आंदोलन के दौरान घायल हुईं कई लोगों ने कहा कि तृणमूल के खिलाफ नाराजगी के बावजूद ममता दीदी और सुवेंदु बाबू नंदीग्राम की बेटी और बेटे की तरह हैं। हमारे लिए उनमें से किसी एक को चुनना मुश्किल होगा। आंदोलन के दौरान जिन के घर जला दिए गए थे उनमें से एक ने कहा कि दोनों 2007-2008 में मेरे कच्चे घर में आए थे। दीदी मुख्यमंत्री बनने के बाद कभी नहीं आईं, लेकिन सुवेंदु बाबू इन वर्षों के दौरान हमारे संपर्क में रहें।

'भाजपा-तृणमूल के बीच बराबरी का मुकाबला, पर ध्रुवीकरण

एक वामपंथी ने कहा कि बनर्जी की घोषणा के बाद नंदीग्राम में भाजपा और तृणमूल के बीच बराबर का मुकाबला है, ‘लेकिन सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के कारण भाजपा को थोड़ी बढ़त हासिल है। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र में करीब 70 फीसद हिंदू हैं जबकि बाकी मुसलमान वोटर हैं। 


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