Narada Sting Operation Case: हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पक्षकार बनाने की दी अनुमति, कल फिर सुनवाई
नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्री एक विधायक तथा एक पूर्व विधायक की जमानत पर कलकत्ता हाईकोर्ट में शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनवाई को 28 मई तक के लिए टाल दिया है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार तृणमूल कांग्रेस के दो मंत्री, एक विधायक तथा एक पूर्व विधायक की जमानत पर कलकत्ता हाईकोर्ट में शुक्रवार को फिर सुनवाई होगी। गुरुवार को मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की वृहत खंडपीठ ने सुनवाई को 28 मई तक के लिए टाल दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले बाद चारों नेताओं को हाउस अरेस्ट यानी घर में नजरबंद ही रहना होगा। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को पक्षकार बनानेे अनुमति दे दी है।
नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में 17 मई को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) ने ममता बनर्जी सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, टीएमसी के विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को गिरफ्तार किया गया था।
बताते चलें कि मंगलवार को सीबीआइ को कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी थी। इसमें तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं सहित चार नेताओं को मामले में घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति दी थी।हाई कोर्ट ने 21 मई को बंगाल के दो मंत्रियों, एक विधायक और कोलकाता के पूर्व महापौर को जेल से हटाकर उनके घरों में ही नजरबंद करने के आदेश दिए थे। हाई कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 24 मई को मामले में सुनवाई की और मामले में सुनवाई स्थगित करने के सीबीआइ के आग्रह से इन्कार कर दिया था।
जानकारी हो कि इसके बाद सीबीआई ने वृहद पीठ के समक्ष नजरबंद के आदेश को चुनौती दी। अदालत ने मामले की सुनवाई स्थगित करने के सीबीआई के अनुरोध को खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान सीबीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के सोलीसिटर जनरल ने पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष आग्रह किया कि मामले में सुनवाई स्थगित की जाए क्योंकि एजेंसी ने उच्च न्यायालय के आदेशों के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका दायर की।
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी, जिसने तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं सहित चार नेताओं को नारद रिश्वत मामले में घर में ही नजरबंद रखने की अनुमति दी थी। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा अपना विचार दिए जाने के बाद हम मामले पर गौर करेंगे। हम ऐसे आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं।
सॉलिसीटर जनरल ने स्वीकार किया है कि अन्य सभी पक्षों को भी इस तरह के सभी मुद्दे उठाने की स्वतंत्रता है। इस मामले पर पांच न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई कर रही है और उन्होंने आग्रह किया है कि उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए ताकि यहां उठाए गए सभी मुद्दों को उच्च न्यायालय के समक्ष उठाया जा सके।
दरअसल, नाटकीय घटनाक्रम में सीबीआइ ने बिना किसी पूर्व सूचना व नोटिस के तृणमूल कांग्रेस के नेता फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी और मदन मित्रा के साथ पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी को नारद स्टिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया था।। नारद स्टिंग मामले में कुछ नेताओं द्वारा कथित तौर पर धन लिए जाने के मामले का खुलासा हुआ था। यह वीडियो टेप साल 2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सामने आया था, जिसके बाद राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई थी। 2017 में कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर इस मामले की जांच सीबीआइ कर रही थी।