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अफगा​निस्तान में रह रहे परिजन की चिंता में है बांकड़ा का परिवार

हावड़ा के बांकड़ा के खानपाड़ा में रहनेवाला एक परिवार सदमे में है क्योंकि उनके परिवार की बेटी दामाद नाती-पोते काबुल में हैं। जब से यह कब्जा हुआ है तब से उनकी कोई खबर नहीं है।उनकी मांग है कि केंद्र सरकार की पहल पर उनकी बहू और पोते-पोतियां घर लौट आएं।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 09:59 AM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 10:05 AM (IST)
अफगा​निस्तान में रह रहे परिजन की चिंता में है बांकड़ा का परिवार
अफगा​निस्तान में रह रहे परिजन की चिंता में है बांकड़ा का परिवार

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया है। तब से ही अफगानिस्तान में हिंसा और भड़क उठी है। वहीं लगातार टीवी व न्यूज चैनलों में लोगों की मरने की खबर सुनकर राज्य में रहनेवाले अफगानी और उनके परिजन जो कि अफगान में रहते हैं, वे काफी चिंतित हैं। इस दौरान हावड़ा के बांकड़ा के खानपाड़ा में रहनेवाला एक परिवार सदमे में है, क्योंकि उनके परिवार की बेटी, दामाद, नाती-पोते काबुल में हैं। जब से यह कब्जा हुआ है तब से उनकी कोई खबर नहीं है।

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दरअसल उक्त इलाके में रहनेवाले काबुलीवाले जिसका नाम गुलाम रसूल खान है, वह बांकड़ा खानपाड़ा में रहता था। वह यहां पर ब्याज का व्यापार करता था। दशकों पहले, उसने इलाके की एक लड़की शकीला खातून को पसंद किया। इसके बाद शकीला की मां से शादी का प्रस्ताव रखा। इस तरह उनकी शादी हो गयी। यह जोड़ा शादी के बाद पांच साल से बांकड़ा इलाके में रहता है। वहीं गत 5 साल के बाद गुलाम रसूल अपनी पत्नी के साथ अफगानिस्तान लौट जाता है। वे लोग काबुल से दूर कोरामा इलाके में रहने लगे थे। इनके चार बेटे और बेटियां भी हैं। शकीला की मां नौसादी बेगम ने कहा कि उनकी बेटी महीने में दो बार फोन करती थी, क्योंकि वह जिस इलाके में रहती है वहां पर मोबाइल टावर उपलब्ध नहीं है। उसे फोन करने के लिए शहर आना पड़ता था। आखिरी बार उन्होंने कुछ महीने पहले फोन पर बात की थी।

हालांकि तब तक कोई परेशानी नहीं थी। पिछले रविवार को काबुल पर हुए कब्जे के बाद शकिला का उनकी मां से कोई और संपर्क नहीं रहा। ये लोग यहां से लगातार सम्पर्क करने की कोशिश में लगे हुए हैं। इस समय पूरा परिवार काफी परेशान है। उक्त परिवार काबुल से कॉल की प्रतीक्षा में है। वहीं लगातार टीवी स्क्रीन पर हंगामे की खबर देखकर उक्त परिवार की चिंता और बढ़ गयी है। उनकी मांग है कि केंद्र सरकार की पहल पर उनकी बहू और पोते-पोतियां घर लौट आएं। 


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