साइबर सुरक्षा में चीन से पीछे है भारत : अरूप राहा
- पूर्व वायुसेना प्रमुख ने साइबर आतंकवाद को बताया सबसे बड़ा खतरा - सेना व नागरिक दोनों क्षे
- पूर्व वायुसेना प्रमुख ने साइबर आतंकवाद को बताया सबसे बड़ा खतरा
- सेना व नागरिक दोनों क्षेत्रों के लिए एकीकृत साइबर सुरक्षा प्रणाली विकसित करने पर दिया जोर
जागरण संवाददाता, कोलकाता : भारतीय वायुसेना के पूर्व प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत) अरूप राहा ने मंगलवार को साइबर आतंकवाद को अपनी तरह का सबसे भयावह व बड़ा खतरा बताते हुए कहा कि भारत अभी भी सैन्य और नागरिक दोनों क्षेत्रों के लिए एक एकीकृत साइबर सुरक्षा प्रणाली विकसित करने में चीन से पीछे है। उन्होंने कहा कि साइबर युद्ध से निपटने में सेना पूरी तरह से सक्षम है लेकिन अन्य क्षेत्रों में साइबर हमलों के बढ़ते खतरों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उनके ऑपरेशन चाहे जो भी हों लेकिन दूसरे क्षेत्रों में ऐसे हमलों से निपटने में हम कमजोर हैं।
राहा ने कहा- साइबर आतंकवाद का सबसे बुरा प्रकार है, क्योंकि यहां आपको बहुत से लोगों को मारने के लिए गोलियों और हथियारों के साथ प्रशिक्षित लोगों की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि साइबर आतंकवाद उसी प्रकार का है जहां कोई हिंसा नहीं होगी, लेकिन इससे बहुत सारी मौतें होगी और बिना गोलीबारी के तबाही होगी।
कोलकाता में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पड़ोसी देश चीन ने काफी हद तक साइबर युद्ध प्रणाली विकसित की है। लेकिन, हम वास्तव में पिछड़ रहे हैं और अभी भी चुनौतियों का सामना करने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए हर क्षेत्र महत्वपूर्ण है और देश में एक मजबूत एकीकृत साइबर सुरक्षा प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता है।
ईरान में बिजली संयंत्रों की हैकिंग के सवाल पर राहा ने कहा कि उनके परमाणु और परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को हैक कर लिया गया था एवं वे अपने परमाणु संयंत्रों के कामकाज को नियंत्रित तक नहीं कर सकते थे और पूरी तरह असहाय थे।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि साइबर हमले से विस्फोट होगा..परमाणु विस्फोट होगा, पर आप बिजली का उत्पादन या वितरण भी नहीं कर सकते, यह काफी प्रभावी है।
इसके अलावा पूर्व वायुसेना प्रमुख ने कहा कि यदि हैकर्स हमारे एयर ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम को हैक कर ले तो इसपर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होगा, ऐसी स्थिति में विमान क्रैश होने से कोई नहीं बचा सकता और इसमें एक साथ बहुत लोगों की जानें जा सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि विकसित देशों में कई ट्रेनों को जापान में बुलेट ट्रेनों की तरह स्वचालित किया जाता है, अगर इन ट्रेनों में ड्राइवर नहीं है और कोई इसकी प्रणाली को हैक कर ले तो बड़ी तबाही होगी।
उन्होंने कहा कि बैंकों की तरह ही हमारे आर्थिक व वाणिज्यिक संगठन भी साइबर हमले की स्थिति में कमजोर है। उन्होंने केंद्रीयकृत तरीके से साइबर अपराध से निपटने पर जोर दिया।
बता दें कि कोलकाता में 16 जनवरी से साइबर अपराध पर तीन दिवसीय सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एमके नारायणन भी इसमें हिस्सा लेंगे।