कैंसर पीड़िता केकाटे गए स्तन की जगह तैयार करके लगाया गया कृत्रिम स्तन
सिटी ऑफ ज्वाय ने चिकित्सा जगत में एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : 'सिटी ऑफ ज्वाय' ने चिकित्सा जगत में एक और उपलब्धि अपने नाम दर्ज की है। कलकत्ता मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक महिला के स्तन कैंसर का न सिर्फ सफलतापूर्वक इलाज किया गया बल्कि ऑपरेशन के दौरान काटे गए स्तन की जगह शरीर के ही दूसरे हिस्से से मांस लेकर कृत्रिम स्तन भी तैयार करके वहां लगाया गया। अस्पताल के ब्रेस्ट एंडोक्राइन विभाग के सर्जनों की टीम ने इस बेहद मुश्किल सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस सर्जरी को चिकित्सकीय भाषा में 'लैटरल इंटरकोस्टल आर्टरी परफोरेटर बेस्ड फ्लैप' अथवा 'लाइकैप पद्धति' कहा जाता है। ब्रेस्ट एंडोक्राइन विभाग के प्रधान डॉक्टर धृतिमान मैत्र की अगुआई में टीम ने सर्जरी की। सुमिता मुखर्जी (परिवर्तित नाम) नामक स्तन कैंसर पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कैंसर इतना फैल गया था कि एक स्तन को काटना पड़ गया था, जिससे एक स्तन में गहरा गड्ढ़ा हो गया था। उस गड्ढ़े को नहीं भरने पर भविष्य में उसमें मवाद जमने की प्रबल आशंका थी। ट्यूमर को स्तन से काटकर अलग करने के समय स्तन के चमड़े पर हाथ नहीं लगाया गया था बल्कि अंदर के टिश्यू को हटाया गया था। डा. मैत्र ने बताया कि स्तन के चमड़े में मांस भरकर उसे हू-ब-हू पहले की तरह कर दिया गया। इसके लिए महिला की पीठ के हिस्से से मांस लिया गया, हालांकि उनके 'लैटिसिमस डोरसी मसल' से मांस नहीं लिया गया। जिस जगह से मांस काटा गया, उस जगह की धमनियां क्षतिग्रस्त न हों, इसका खास ध्यान रखा गया और जिस जगह मांस को लगाया गया, उस जगह पर रक्त का ठीक तरीके से संचालन हो, इसका भी बहुत ख्याल रखा गया। स्तन में चूंकि चमड़ा था इसलिए अलग से शरीर के किसी अन्य हिस्से से चमड़ा काटने की जरुरत नहीं पड़ी। विदेशों में इस तरह की सर्जरी कराने पर लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं लेकिन कलकत्ता मेडिकल कालेज अस्पताल में नि:शुल्क यह सर्जरी की गई।