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बीएसएफ की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने मानव तस्करी पर कसा शिकंजा, एक वर्ष में 33 महिलाओं को बचाया, 33 तस्कर भी पकड़े

बीएसएफ का दावा एंटी ट्रैफिकिंग यूनिटों की तैनाती के बाद से मानव तस्करी के मामले नहीं के बराबर हुए पिछले साल जनवरी में भारत-बांग्लादेश सीमा के संवेदनशील स्थानों पर की गई थी यूनिट की तैनाती इनमें पांच नाबालिग लड़कियां शामिल है। इस दौरान 33 मानव तस्करों को भी पकड़ा है।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 16 Jan 2022 12:45 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 12:45 PM (IST)
बीएसएफ की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने मानव तस्करी पर कसा शिकंजा, एक वर्ष में 33 महिलाओं को बचाया, 33 तस्कर भी पकड़े
बीएसएफ की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट ने मानव तस्करी पर कसा शिकंजा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल से लगी भारत- बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा पिछले साल जनवरी में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की तैनाती के बाद से यहां से होकर मानव तस्करी की वारदातों पर पूरी तरह शिकंजा कस दिया है। तैनाती के बाद से एक वर्ष में इस ट्रैफिकिंग यूनिटों ने मानव तस्करी की 29 कोशिशों को विफल करते हुए 33 महिलाओं को तस्करों के चंगुल से बचाया है। इनमें पांच नाबालिग लड़कियां भी शामिल है। साथ ही इस दौरान 33 मानव तस्करों को भी पकड़ा है।

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बीएसएफ का दावा है कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिटों की तैनाती के बाद से मानव तस्करी के मामले नहीं के बराबर हो गए हैं। हालांकि यह अभी पूरी तरह खत्म भी नहीं हुआ है। बता दें कि दक्षिण बंगाल का बार्डर इलाका मानव तस्करी के लिए दशकों से कुख्यात रहा है।

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर बीएसएफ के डीआइजी व प्रवक्ता सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि मानव तस्करी की घटनाओं को पूरी तरह रोकने के लिए इस सीमा पर मानव तस्करी के लिहाज से अति संवेदनशील इलाकों को चिन्हित कर 15 जनवरी 2021 को इन यूनिटों को तैनात किया गया था। इसके बाद इस टीम ने अपनी भूमिका का कारीगर तरीके से निर्वहन किया है और बड़ी संख्या में महिलाओं को इस अवैध धंधे में फंसने से बचाने के साथ मानव तस्कर दलालों को गिरफ्तार कर सख्त संदेश दिया है।

काम का झांसा देकर बांग्लादेशी युवतियों को सीमा पार कराकर लाते हैं दलाल

बीएसएफ डीआइजी ने बताया कि ज्यादातर मामलों में देखने में आया है कि मानव तस्करी में शामिल गिरोह व दलाल बांग्लादेश की गरीब व भोली- भाली युवतियों को भारत में अच्छी नौकरी जैसे ब्यूटी पार्लर, बार डांसर, जिम में हेल्पर, मसाज पार्लर, वेटर का आदि काम व पैसे का लालच देकर अवैध तरीके से सीमा पार करा कर भारत लाते हैं। फिर कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में इनको देह व्यापार जैसे घिनौने व अमानवीय धंधे में झोंक दिया जाता है।

दलाल उनका फायदा उठाते हैं।एक बार इस दलदल में फंसने के बाद इन महिलाओं व लड़कियों का जीवन तबाह हो जाता है। उन्होंने कहा कि सीमा पर मानव तस्करी को रोकने के लिए बीएसएफ इन दिनों बेहद कड़े कदम उठा रही है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक के नेतृत्व में सभी बटालियनों को बार्डर पर तैनात किया गया है। एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट का मुख्य उद्देश्य मानव तस्करी में लिप्त सभी सिंडीकेट को पकड़ कर कानून के हवाले करके सलाखों के पीछे पहुंचाने का है। बीएसएफ अधिकारी ने यह भी बताया कि मानव तस्करी के मामले जड़ से खत्म करने के लिए जितना जरूरी दलालों को सलाखों के पीछे पहुंचाना है उतना ही जरूरी है गरीब और भोली–भाली लड़कियों को मानव तस्करी के घिनौने कृत्य के बारे में जागरूक कराना भी है। जिससे कोई भी लड़की इन मानव तस्करों का शिकार न हो पाए।

यह है एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट

बीएसएफ डीआइजी गुलेरिया ने बताया कि एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, बीएसएफ का ही एक महत्वपूर्ण अंग है, जो सीमा पर रहकर मानव तस्करी को रोकने में प्रयत्नशील है।इस यूनिट में बीएसएफ की महिला कार्मिक तथा जवानों को उनकी उत्कृष्ट क्षमता के आधार पर शामिल किया गया है जिससे कि वह मानव तस्करी से पीड़ित महिलाओं की पहचान आसानी से कर सकें। प्रत्येक टीम (यूनिट) में 11 सदस्य हैं जिसमें इंस्पेक्टर टीम लीडर हैं। इस टीम को मानव तस्करी रोकने को उपयुक्त संसाधन व उपकरण भी मुहैया कराए गए हैं। बीएसएफ डीआइजी ने बताया कि इस टीम को सीमा पर उन संवेनशील स्थानों पर तैनात किया गया है जहां से होकर मानव तस्करी की सबसे अधिक घटनाएं होती रही है। यह टीम सीमा क्षेत्र में सक्रिय मानव तस्करी गिरोह व दलालों पर कड़ी नजर रख रही है। 


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