कोलकाता के आकाश में एक घंटे 15 मिनट तक दिखा अद्भुत नजारा
कोलकाता में इससे पहले ऐसा नजारा मई 2016 और अप्रैल 2013 में देखने को मिला था। इंद्रधनुष के सात रंगों में लिपटा यह घेरा एक घंटे 15 मिनट तक देखा गया।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। बुधवार को महानगर व आसपास के जिलों के लोग ने आकाश में दुर्लभ नजारे के गवाह बने। सुबह 10.45 के बाद से यह बात महानगर में आग की तरह फैली कि बिना किसी ग्रहण जैसी परिस्थिति के सूर्य के चारों तरफ एक घेरा नजर आ रहा है। इंद्रधनुष के सात रंगों में लिपटा यह घेरा एक घंटे 15 मिनट तक देखा गया।
कोलकाता में इससे पहले ऐसा नजारा मई 2016 और अप्रैल 2013 में देखने को मिला था।
हालांकि, बिरला तारामंडल के निदेशक देवीप्रसाद दुआरी से संपर्क करने पर सारी दुविधा दूर हुई। उन्होंने बताया कि इस घटना को सूर्य के 22 डिग्री सर्कुलर हेलो के नाम से जाना जाता है। यह कोई विरल घटना नहीं है, आकाश में बादलों की विशेष परिस्थिति के चलते ऐसा होता है।
बकौल, दुआरी जब सूर्य की किरणें सिरस क्लाउड (वैसे बादल जिनकी परत काफी पतली और महीन होती है और जिनका निर्माण प्राय: 18 हजार फीट ऊपर होता है) में मौजूद हेक्सागन आकार के बर्फ के क्रिस्टल्स से विक्षेपित होती हैं, तब उससे छन के आनेवाली रोशनी न सिर्फ सात रंगों विभाजित हो जाती है बल्कि सूर्य से 22 डिग्री या उसके अधिक के एंगल में झुक जाती हैं।
इसकी वजह से पृथ्वी से सूर्य के चारों तरफ एक छल्ला सा नजर आने लगता है और ऐसा नजारा सामने आता है। ऐसे बादलों का निर्माण तब होता है जब पृथ्वी की सतह से करीब पांच से 10 किलोमीटर ऊपर जलवाष्प, बर्फ के क्रिस्टल में संघनित हो जाते हैं, और अधिकतर ये हेक्सागन आकार में ही मिलते हैं। अत: इसका आकार भी ऐसी परिस्थिति के लिए जिम्मेदार है। ठंडे देशों में यह नजारा आम बात है। लेकिन भारत जैसे देश में इसका होना थोड़ा दुर्लभ है।
इस घटना को बहुत दुर्लभ नजारा कहना गलत होगा। जब भी वातावरण या सूर्य के नजदीक सिरस बादलों का घेराव होता है, ऐसे नजारे सामने आते हैं। विश्व के जिस भी भाग में परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, ऐसे घटना अक्सर होती हैं।
- देवीप्रसाद दुआरी, निदेशक, एमपी बिड़ला प्लेनेटोरियम , कोलकाता