शिक्षक नियुक्ति घोटाला की गूंज के बाद सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल में नियुक्तियों को ले दिया कड़ा निर्देश
राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी इस समय शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल में हैं। अब ममता ने भर्ती प्रक्रिया को लेकर कड़ा निर्देश जारी किया है। बुधवार को करीब साढ़े चार माह बाद ममता ने राज्य सचिवालय(नवान्न) में प्रशासनिक बैठक बुलाई थी
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। ममता सरकार पर नियुक्तियों के मामले में एक के बाद भ्रष्टाचार के आरोप लगते जा रहे हैं। नियुक्ति में धांधली के कई मामलों में कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा सीबीआइ जांच के आदेश के बाद से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल असहज स्थिति में है। राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी इस समय शिक्षक भर्ती घोटाले में जेल में हैं। अब ममता ने भर्ती प्रक्रिया को लेकर कड़ा निर्देश जारी किया है। बुधवार को करीब साढ़े चार माह बाद ममता ने राज्य सचिवालय(नवान्न) में प्रशासनिक बैठक बुलाई थी जिसमें उन्होंने साफ कहा कि नियुक्ति समिति की मंजूरी के बिना किसी को भी नौकरी नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री कार्यालय में आई शिकायतों का निपटारा सात दिनों के अंदर करना होगा। ममता ने राज्य के मंत्रियों, पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक की।
इस प्रशासनिक बैठक में मुख्य सचिव, गृह सचिव, संयुक्त सचिव समेत सभी विभागों के सचिव से लेकर जिलों के डीएम, एसपी, पुलिस आयुक्त मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी ने बैठक में नियुक्ति को लेकर कड़ा संदेश दिया।
सूत्रों के अनुसार इस दिन मुख्यमंत्री ने आदेश दिया था कि नियुक्ति समिति के निर्देश के बिना किसी की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों में समितियों की अनुमति के बाद ही किसी को नौकरी दी जा सकती है। पूरा कार्य पारदर्शी तरीके होगा। वह नहीं चाहते कि नियुक्ति में किसी भी तरह के नियम के उल्लंघन का आरोप लगे और उससे सरकार बदनाम हो। वह नहीं चाहते कि कोई भी सरकार पर उंगली उठाए। हालांकि उन्होंने भ्रष्टाचार को स्वीकार नहीं किया, लेकिन उन्हें यह कहते सुना गया, गलती होती है। अगर आप काम करते हैं, तभी तो गलती होती है, लेकिन उसमें सुधार की गुंजाईश रहे।
साल 2006 में भारी बहुमत के साथ सत्ता में लौटने के बाद वामपंथी शासन के आखिरी मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ‘डू इट नाउ’ का नारा दिया था। ममता ने भी बुधवार को सभी जिलाधिकारियों, शीर्ष स्तर के नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक में ऐसा ही निर्देश दिया। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने बैठक में स्पष्ट किया कि उनके सचिवालय (सीएमओ) से लेकर पंचायतों तक की किसी भी शिकायत की फाइल को दबे नहीं। सीएमओ हो या पंचायत व जिला परिषद स्तर पर किसी भी प्रकार की शिकायत का निराकरण समय पर करें।