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independence day: इस सुधारगृह में आजादी के कई साक्ष्य व कहानी जिंदा है

independence day अलीपुर सेंट्रल जेल में नेताजी भवन व नेहरू भवन जैसे धरोहर है जिनसे आजादी के कई किस्से जुड़े हैं। इस सुधारगृह में आजादी के कई साक्ष्य व कहानी जिंदा है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 03:31 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 03:31 PM (IST)
independence day: इस सुधारगृह में आजादी के कई साक्ष्य व कहानी जिंदा है
independence day: इस सुधारगृह में आजादी के कई साक्ष्य व कहानी जिंदा है

कोलकाता, ओमप्रकाश सिंह। महानगर के अलीपुर सेंट्रल जेल में नेताजी भवन व नेहरू भवन जैसे धरोहर है, जिनसे आजादी के कई किस्से जुड़े हैं। इस सुधारगृह में आजादी के कई साक्ष्य व कहानी जिंदा है। सन् 1934 के करीब देश की आजादी के लिए लड़ रहे कई सपूतों को अंग्रेजों ने इसी जेल में कैद कर दिया था, बेशक आज धरोहर घोषित हो गया है लेकिन आम लोग उससे अंजान हैं। बदमाशों के बीच होने के कारण उसका महत्व ऐसा लगता है कि कम होता जा रहा है।

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आजादी की जंग लड़ रहे स्वतंत्रता सेनानी और कलम के सिपाही को भी अंग्रेजों ने यहां कैद कर रखा था। स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान अंग्रेजों ने पंडित जवाहर लाल नेहरू, नेताजी सुभाष चंद्र बोस,विधान चंद्र राय, दीनबंधु चितरंजन दास, अरविंद घोष क्रांतिकारी कवि नजरूल इस्लाम जैसे दर्जनों देशभक्तों को अंग्रेजों ने यहां बंदी बनाकर रखा था। इनमें आजादी के बाद सुभाष चंद्र बोस व पंडित जवाहर लाल के कैद खाना को धरोहर का दर्जा मिल गया।

देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर नेहरू को इसी जेल के बिल्डिंग नंबर पी एंड डी 11/1 में 17 फरवरी 1934 से लेकर 7 मार्च 1934 तक कैद कर रखा गया था। आजादी बाद इस बिल्डिंग को नेहरू भवन का नाम दिया गया। जबकि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को यूरोपियन ब्लाक के प्रथम तल्ला के कैद खाना में 2 जुलाई 1940 से लेकर 5 मार्च 1940 तक बंदी बनाकर रखा गया था।

आजादी बाद इसे नेताजी बिल्डिंग का दर्जा मिला और बिल्डिंग के कैद खाना नंबर डब्ल्यू एंड बी 12 में वे कैद थे। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री डाक्टर विधान चंद्र राय नेताजी भवन के सेल नंबर 4 में 5 सितंबर 1930 से लेकर 16 जनवरी 1931 तक कैद थे। यानी नेता जी से पहले वे यहां बंदी थे।

जबकि नेताजी भवन में ही कोलकाता नगर पालिका के प्रथम मेयर देशबंधु चितरंजन दास सेल नंबर 8 में कैद थे। न जाने और कितने स्वतंत्रता सेनानी इस जेल में बंदी रह चुके हैं। लोगों को पता नही कि इसके अंदर स्वतंत्रता इतिहास के कई महानायकों के पद चिन्ह मौजूद है। दशकों से धरोहर का दर्जा पाने के बावजूद आम लोगों की नजरों से नेताजी भवन और सुभाष भवन दूर हैं। 

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