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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद 40 साल बाद उनके पैतृक मिराती गांव में नहीं सुनाई दी चंडी पाठ की गूंज

सूनापन-पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन से उनके पैतृक निवास की दुर्गा पूजा रही सूनी सूनी। हर वर्ष अष्टमी को प्रणब दा करते थे चंडी पाठ। पुरोहित भूमिका में आते थे नजर। गांव वालों ने कहा अब नहीं होगी वैसी पूजा। टूटी वर्षों की परंपरा।

By Vijay KumarEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 06:01 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 06:01 PM (IST)
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन के बाद 40 साल बाद उनके पैतृक मिराती गांव में नहीं सुनाई दी चंडी पाठ की गूंज
कई वर्षों में यह पहली बार हुआ जब दुर्गा पूजा के दौरान उनकी गैर मौजूदगी महसूस की गई।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में 40 साल बाद चंडी पाठ की गूंज नहीं सुनाई दी। दरअसल यहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का पैतृक निवास है और लगभग सौ वर्षों से उनके घर में दुर्गा पूजा होती आ रही है। हर साल प्रणब मुखर्जी पूजा के दौरान पुरोहित की भूमिका में नजर आते थे और चंडी पाठ करते थे, लेकिन गत 31 अगस्त को उनके निधन के बाद 40 वर्षों से चली आ रही परंपरा टूट गई।

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पूजा अनुष्ठान में हिस्सा नहीं ले रहा परिवार

कांग्रेस के पूर्व सांसद तथा प्रणब मुखर्जी के पुत्र अभिजीत मुखर्जी ने बताया कि इस साल भी उनके घर में पूजा हो रही है। लेकिन परिवार के कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार की पूजा के अनुष्ठान में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। कई वर्षों में यह पहली बार हुआ जब दुर्गा पूजा के दौरान उनकी गैर मौजूदगी महसूस की गई।

मिराती में दुर्गा पूजा अब कभी वैसी नहीं होगी

हर गांववासी पूर्व राष्ट्रपति के यहां होने वाली दुर्गा पूजा में नियमित तौर पर जाता था। प्रणब दा के परिवार के करीबी सहयोगी रबी चट्टोराज ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के घर में होने वाली दुर्गा पूजा हमारे गांव का सबसे बड़ा कार्यक्रम होता था। पांच दिन के उत्सव के दौरान हम सभी उनके घर पर भोजन करते थे। वह हमारे थे।

धोती-कुर्ता पहन कर मां दुर्गा की आरती किया करते थे प्रणब

मिराती में दुर्गा पूजा अब कभी वैसी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हर साल पूजा से दो महीने पहले, वह हमें फोन करते थे और हर ब्यौरे के बारे में पूछते थे। पांच दिन की पूजा के दौरान वह खुद चंडी पाठ करते थे। धोती-कुर्ता पहन कर मां दुर्गा की आरती किया करते थे। गांव वालों ने कहा कि इस बार पूर्व राष्ट्रपति के घर में पूजा सूनी सूनी लग रही है। 

प्रणब दा के मन में हमेशा अपने गांव के प्रति आकर्षण बना रहा

दिल्ली के सत्ता गलियारे में शीर्ष तक पहुंचने के बावजूद प्रणब मुखर्जी के मन में हमेशा अपने गांव के प्रति आकर्षण बना रहा। उनके निधन की खबर जब  गांव में पहुंची थी तो हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई थी। मिराती गांव की धूल भरी गलियों से राष्ट्रपति भवन पहुंचने तक के सफर के दौरान मुखर्जी की जिंदगी में अपने गांव के लिए विशेष स्थान रहा, बल्कि बंधन और मजबूत हुआ।

ब्रेन ऑपरेशन भी हुआ था, कोमा में भी चले गए थे प्रणव मुखर्जी

इस गांव के लोगों के लिए वह प्रणब दा, प्रणब काकू या जेठू (चाचा) थे। उन्होंने कभी गांव वालों को यह एहसास नहीं कराया कि वह वरिष्ठ मंत्री या राष्ट्रपति हैं। वह बच्चों से प्यार करते थे। गौरतलब है कि गत 31 अगस्त को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया था। वह कोरोना से संक्रमित हो गए थे और उनके ब्रेन ऑपरेशन भी हुआ था, जिसके बाद वह कोमा में चले गए थे।


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