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भाजपा में शामिल होने पर नाटक से अभिनेता को किया बाहर, इंटरनेट मीडिया पर आने लगी प्रतिक्रियाएं

अभिनेता के भाजपा में शामिल होने पर उसे नाटक से बाहर कर दिया गया वामपंथी सोच वाले निर्देशक ने फेसबुक पर लिखा कि भाजपा में शामिल होना ही हटाने के लिए काफी है। जिसके बाद से इंटरनेट मीडिया पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 09:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 09:00 AM (IST)
भाजपा में शामिल होने पर नाटक से अभिनेता को किया बाहर,  इंटरनेट मीडिया पर आने लगी प्रतिक्रियाएं
कलाकार कौशिक कर को भाजपा में शामिल होने के कारण नाटक से हटा दिया गया है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में सामाजिक-आर्थिक विषयों पर नाटकों के मंचन के लिए मशहूर एक थिएटर ग्रुप के एक अभिनेता के भाजपा में शामिल होने के बाद इस ग्रुप ने उन्हें अपने नाटक से बाहर कर दिया है। लेखक निर्देशक सौरभ पालोधी ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट किया कि कलाकार कौशिक कर को भाजपा में शामिल होने के कारण नाटक से हटा दिया गया है। पालोधी का नाटक ‘घूम नेई’ उत्पल दत्त के क्लासिक नाटक पर आधारित है जिसमें वाम विचारधारा के चश्मे से देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति को दर्शाया गया है।  कर को पालोधी के ग्रुप ‘इच्छेमोतो’ ने 2019 में एक किरदार को निभाने के लिए बुलाया था।

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  यह किरदार 2015 के दादरी मामले से प्रेरित था जिसमें ‘बीफ’खाने के संदेह में भीड़ ने एक युवक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। पालोधी वामपंथी विचारधारा के हैं। उन्होंने तीन दिन पहले फेसबुक पर पोस्ट किया,‘हम लोग कौशिक कर को ‘घूम नेई’ से तत्काल प्रभाव से हटा रहे हैं क्योंकि वह भाजपा में शामिल हो गए हैं। इस वक्त उन्हें नाटक से हटाने का यह कारण पर्याप्त है। कामकाजी वर्ग के नाटक में सांप्रदायिक तत्वों के लिए कोई जगह नहीं हो सकती है। थिएटर ग्रुप जल्द ही ‘घूम नेई’ के अगले शो की तारीख की घोषणा करेगा।

 इस पोस्ट को लेकर इंटरनेट मीडिया पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जिसमें पूछा जा रहा है कि क्या यह किसी कलाकार की आजादी का उदाहरण है? क्या यह लोकतांत्रिक अधिकार है? क्या एक कलाकार को वामपंथी या दक्षिणपंथी विचारधारा के आधार पर परखा जाना चाहिए...? कोई व्यक्ति किस राजनीतिक पार्टी में जाना चाहता है, यह उस पर छोड़ देना चाहिए। किसी को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है। पालोधी ने कहा कि वह अपने फैसले पर अटल हैं क्योंकि यह नाटक भाजपा की विचारधारा के उलट है और उस पार्टी से जुड़ा कोई व्यक्ति ‘घूम नेई’ का हिस्सा नहीं बन सकता। 

 उन्होंने कहा कि कौशिक कर की मौजूदा राजनीतिक पहचान को जानते हुए नाटक से उनका जुड़े रहना नाटक की मूल भावना तथा जिस कामकाजी वर्ग के लिए इसे बनाया गया है, उसके साथ अन्याय होगा। इस पूरे घटनाक्रम को ‘वामपंथी फासीवाद की अभिव्यक्ति’बताते हुए कर ने कहा कि कोई अनुभवहीन व्यक्ति जिसका जनता से कोई जुड़ाव नहीं है और जो प्रगतिवादी सांस्कृतिक इतिहास को नहीं जानता हो, वह सांप्रदायिकता पर भाषण दे रहा है और ऐसा व्यक्ति ही इस तरह का फैसला कर सकता है। उन्होंने कहा कि मैं इस एकतरफा फैसले से हैरान हूं।


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