कोलकाता में केले के पत्तों से बना एक पूजा पंडाल, सीएम ममता बनर्जी कल करेंगी चक्षु दान
चेतला अग्रणी ने इस साल केले के पत्तों से पूरे पूजा पंडाल का निर्माण किया है और पंडाल के निर्माण में इको-फ्रेंडली वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रविवार को महालया के दिन इस पूजा पंडाल में मां दुर्गा का चक्षु दान करेंगी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में दुर्गापूजा की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। कोलकाता के विभिन्न पूजा पंडाल थीम आधारित पंडाल बना रहे हैं। कल महालया है और महालया के बाद से 10 दिवसीय दुर्गा पूजा की शुरुआत औपचारिक रूप से हो जाएगी। दक्षिण कोलकाता का प्रसिद्ध पूजा पंडाल पूजा चेतला अग्रणी थीम आधारित पूजा के लिए प्रसिद्ध है। चेतला अग्रणी ने इस साल केले के पत्तों से पूरे पूजा पंडाल का निर्माण किया है और पंडाल के निर्माण में इको-फ्रेंडली वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रविवार को महालया के दिन इस पूजा पंडाल में मां दुर्गा का चक्षु दान करेंगी। इस अवसर पर मंत्री बाबुल सुप्रियो और फिरहाद हकीम भी उपस्थित रहेंगे।
केले के रेशे से बन रहा पूरा मंडप
बता दें कि यूनेस्को ने कोलकाता की दुर्गापूजा को सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है। इस कारण इस साल दुर्गापूजा को भव्य तरीके से मनाया जा रहा है। यूनेस्को के प्रतिनिधि विभिन्न पूजा पंडालों का परिदर्शन कर रहे हैं। बता दें कि यह पूजा कमेटी मंत्री फिरहाद हकीम के संरक्षण में है।
चेतला अग्रणी की पूजा का इस साल 30वां साल है। सोलह कला पूर्ण पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। कलाकार सुब्रत बनर्जी द्वारा पंडाल बनाया जा रहा है। वह केले के पेड़ की छाल से रेशे निकालकर मंडप बना रहे हैं. उन्होंने दो साल तक इसपर शोध किया है। पूरा मंडप केले के पेड़ के पत्तो और छाल से बनाया गया है। पूजा कमेटी के सदस्यों का कहना है कि केले का पेड़ बंगालियों के जीवन से जुड़ा है। किसी भी शुभ कार्य के लिए केले के पेड़ की आवश्यकता होती है। उपनयन संस्कार से लेकर किसी भी पूजा-पाठ में केले के पत्तों का इस्तेमाल होता है। केला जीवन से बहुत ही जुड़ा हुआ है। मंडप में एक नदी दिखाई गई है। वह नदी मंडप के बाहर से शुरू होकर माता के चरणों में मिल जाती है। उस नदी के माध्यम से आशा और कामना को दर्शाया गया है। पंडाल में बंगाल की शिल्प कला की भी झलक दिखेगी। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी प्रत्येक साल इस पूजा पंडाल में मां दुर्गा का चक्षु दान करती हैं। यूनेस्को के प्रतिनिधियों ने पूजा पंडाल का परिदर्शन किया है और इसकी काफी सराहना की है।