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कोलकाता के 90 फीसद अभिभावक स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं, ऑनलाइन समीक्षा में सामने आई ये बात

एक ऑनलाइन समीक्षा में यह तथ्य आया है सामने। गत सोमवार से देश के कई राज्यों में आंशिक तौर पर स्कूल खुल चुके हैं। दूसरी तरफ बंगाल सरकार साफ कर चुकी है कि राज्य के सभी स्कूल 30 सितंबर तक बंद रहेंगे। अब महज छह दिन ही रह गए हैं।

By Vijay KumarEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2020 04:51 PM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2020 04:51 PM (IST)
कोलकाता के 90 फीसद अभिभावक स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं, ऑनलाइन समीक्षा में सामने आई ये बात
कोलकाता के अभिभावक अक्टूबर में अपने बच्चों को स्कूल भेजकर उनकी जिंदगी को जोखिम में नहीं डालना चाहते।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कोलकाता के 90 फीसद अभिभावक इस समय स्कूल खोले जाने के पक्ष में नहीं हैं। वे अपने बच्चों को स्कूल भेजकर उनकी जिंदगी को जोखिम में नहीं डालना चाहते। एक ऑनलाइन समीक्षा में यह तथ्य सामने आया है। गौरतलब है कि गत सोमवार से देश के कई राज्यों में आंशिक तौर पर स्कूल खुल चुके हैं। दूसरी तरफ बंगाल सरकार साफ कर चुकी है कि राज्य के सभी स्कूल 30 सितंबर तक बंद रहेंगे। यह समयसीमा खत्म होने में भी अब महज छह दिन ही रह गए हैं। 

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अक्टूबर में स्कूल खुलने पर बच्चों को भेजने के पक्ष में नहीं अभिभावक

बंगाल में अक्टूबर में स्कूल खोले जाएंगे या नहीं, इसे लेकर ममता सरकार की तरफ से अब तक कोई घोषणा नहीं की गई है लेकिन कोलकाता के अभिभावक  कोरोना के दिन-ब-दिन बढ़ते मामलों को देखते हुए अक्टूबर में स्कूल खुलने पर भी अपने बच्चों को वहां भेजने के पक्ष में नहीं हैं।

हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाते, तबतक ऑनलाइन क्लास ही ठीक 

उनका कहना है कि जब तक कोरोना के हालात पूरी तरह सामान्य नहीं हो जाते, तब तक ऑनलाइन क्लास ही ठीक है। शुरू में बच्चों को ऑनलाइन क्लास में परेशानी हो रही थी लेकिन अब वे इसके अभ्यस्त हो गए हैं।

स्कूल प्रबंधनों की तरफ से अभिभावकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई

कोलकाता के विभिन्न स्कूल प्रबंधनों की तरफ से अभिभावकों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई, जिसमें ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजने से साफ तौर पर मना कर दिया। 

अलग-अलग दिनों में बच्चों को स्कूल बुलाने पर भी राजी नहीं अभिभावक

कई स्कूलों की तरफ से कक्षाओं में शारीरिक दूरी के नियम का पालन करने, स्कूल में सैनिटाइजर की व्यवस्था करने और अलग-अलग दिनों में अलग-अलग कक्षा के बच्चों को स्कूल बुलाए जाने का प्रस्ताव दिया गया लेकिन अभिभावक इसपर भी राजी नहीं हुए।


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