सेना के लिए बने हथियार पहुंचाते थे माओवादियों के हाथ, 6 गिरफ्तार
-बिहार के दो कुख्यातों के साथ इच्छापुर राइफल फैक्ट्री के दो अधिकारी भी गिरफ्तार -एक कारबाइन और 7 र
-बिहार के दो कुख्यातों के साथ इच्छापुर राइफल फैक्ट्री के दो अधिकारी भी गिरफ्तार
-एक कारबाइन और 7 रिवाल्वर समेत 10 कारतूस बरामद
-पूछताछ में हथियार सप्लाई गिरोह के बड़े रैकेट का खुलासा
-अन्य राज्यों के गंस एंड सेल फैक्ट्री से भी करते थे हथियारों की अवैध निकासी
जागरण संवाददाता, कोलकाता : इच्छापुर राइफल फैक्ट्री से कारबाइन, एलएलआर, इंसास जैसे सेना के लिए बने बड़े हथियार निकालकर माओवादियों को सप्लाई करने वाले छह लोगों को कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने गिरफ्तार किया है। इनमें से दो बिहार के कुख्यात, दो राइफल फैक्ट्री के जूनियर वर्क्स मैनेजर और बाकी के दो राइफल फैक्ट्री में ठेके पर काम करते थे। जूनियर वर्क्स मैनेजरों की मदद से ठेके पर काम करने वाले राइफल फैक्ट्री के स्क्रैप से परित्यक्त बंदूकों के पार्ट्स को अलग-अलग कर राइफल फैक्ट्री से निकालकर बिहार के इन कुख्यातों को देते थे और वे दोनों इन हथियारों को बिहार के माओवादी संगठनों व माफिया गिरोहों को सप्लाई करते थे। इस बारे में जानकारी एसटीएफ के पुलिस उपायुक्त मुरलीधर शर्मा ने दी। उन्होंने बताया कि बिहार से यहां आकर हथियार ले जाने वालों की पहचान नालंदा निवासी अजय कुमार पांडे उर्फ गुड्डू पंडित (40) और नवादा निवासी जयशंकर पांडेय (36) के रूप में हुई है। गुप्त सूचना के आधार पर रविवार शाम 4 बजे के करीब इन दोनों को कोलकाता के बाबूघाट पर हथियारों की खेप लेते समय एसटीएफ की टीम ने गिरफ्तार किया है। उत्तर 24 परगना जिले के इच्छापुर में रहने वाले उमेश राय उर्फ भोला राय (21) और कार्तिक साव (36), इन दोनों को हथियार दे रहे थे। उसी समय वहां पहले से मौजूद एसटीएफ की टीम ने धावा बोलकर इन चारों को एक साथ धर दबोचा। इनकी तलाशी लेने पर इच्छापुर राइफल फैक्ट्री में बने एक कारबाइन, 7 रिवाल्वर और 10 कारतूस बरामद किए गए। इन सभी हथियारों के पार्ट्स अलग-अलग थे ताकि पुलिस को चकमा दिया जा सके। ये दोनों राइफल फैक्ट्री में कभी साफ-सफाई तो कभी कुछ और काम का ठेका लेते थे। इन चारों को गिरफ्तार कर पूछताछ की गई तो पता चला कि इस काम में उनकी मदद इच्छापुर राइफल फैक्ट्री के दो अधिकारी कर रहे थे। बिना देर किए एसटीएफ की टीम ने छापामारी की और इच्छापुर के नोआपाड़ा थाना अंतर्गत नवाबगंज में रहने वाले सुखदा मुर्मु उर्फ मुममुन (45) तथा माझेरपाड़ा निवासी सुशांत बसु उर्फ बसु दा (48) को गिरफ्तार किया गया। दोनों ने बताया है कि वे राइफल फैक्ट्री में जूनियर वर्क्स मैनेजर के पद पर काम करते हैं। आशंका जताई जा रही है कि बंदूकें निकालकर बेचने का मास्टरमाइंड यही दोनों हैं। इन्हीं की योजना को संभवत: उमेश और कार्तिक अंजाम देते थे। मुरलीधर ने बताया कि बिहार के उक्त दोनों आरोपित हथियार तस्करी के आरोप में पहले भी पटना एसटीएफ के हाथों भी दबोचे जा चुके हैं। खास बात यह है कि वे अक्सर किसी दूसरे को भेजकर यहां से हथियारों की खेप मंगाते थे, लेकिन इस बार वे खुद आए थे। ऐसे में आशंका है कि इनकी कोई और बड़ी योजना थी। एसटीएफ की टीम इनसे पूछताछ कर इसकी जांच कर रही है। इन सभी को न्यायालय में पेश कर 19 मई तक के लिए रिमांड पर लिया गया है।
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16 इंसास और 4 एसएल आर भी कर चुके हैं सप्लाई
-गिरफ्तार किए गए बिहार के दोनों अपराधियों ने बताया है कि वे आठ सालों से हथियारों की सप्लाई करते रहे हैं। तकरीबन दो सालों पहले वे यहां से 16 इंसास और 4 एसएलआर जैसे बड़े हथियारों समेत भारी संख्या में रिवाल्वर लेकर जा चुके हैं। इसे वे अपनी गाड़ी से ले गए थे।
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कम सुरक्षा का फायदा उठाकर निकालते थे हथियार
-एसटीएफ के हाथों गिरफ्तार किए गए राइफल फैक्ट्री के कर्मियों ने बताया है कि जिन बंदूकों में थोड़ी सी भी कमी होती थी, उन्हें स्क्रैप विभाग में भेज दिया जाता था। वहां सुरक्षा बेहद कम होती थी। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राइफल फैक्ट्री में कभी सफाई तो कभी किसी और काम का ठेका लेने वाले उमेश रे ने बताया है कि कई दफे वह फैक्ट्री की बाउंड्री वाल फांदकर स्क्रैप विभाग में जा पहुंचा है और वहां से हथियारों के पार्ट्स लेकर भी निकला है। बारिश के मौसम में यह काम और आसान हो जाता था।
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दोनों जूनियर वर्क्स मैनेजर बताते थे रास्ता
-राइफल फैक्ट्री के सुखदा मुर्मु और सुशांत बसु नाम के दोनों जूनियर वर्क्स मैनेजर, सफाई का काम करने वाले उमेश रे और कार्तिक साव को रास्ता बताते थे। स्क्रैप में कब, कहां कौन सी बंदूक के परित्यक्त पार्ट्स रखे गए हैं, उसके सबसे करीब की बाउंडरी कहां से पड़ेगी, वहां कब सुरक्षा नहीं रहेगी आदि जानकारी वे दोनों को दे देते थे। तय समय पर उमेश और कार्तिक कभी दीवार फांदकर तो कभी काम के बहाने वहां जाकर विभिन्न बंदूकों के पार्ट्स छिपाकर बाहर निकाल लेते थे। इन्हें बाद में अजय व जयशंकर के हाथों बिहार के नक्सल समूहों तक पहुंचा दिया जाता था। इन लोगों ने तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) नाम के एक चरमपंथी संगठन का नाम भी बताया है, जिन्हें हथियारों की खेप दी गई है। पूछताछ में इन लोगों ने यह भी बताया है कि बिहार में हथियारों का मिलना मुश्किल हो गया था, इसीलिए पश्चिम बंगाल से हथियारों की खेप ले जाते थे।
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नेपाल में भी तस्करी की आशंका
-मुरलीधर शर्मा ने बताया कि ऐसी भी आशंका है कि बिहार के अलावा ये लोग नेपाल में भी माओवादी समूहों को हथियार मुहैया कराते रहे हैं। हालांकि पूछताछ में केवल बिहार में ही तस्करी की जानकारी इन लोगों ने दी है। हालांकि एसटीएफ को ऐसी सूचना मिली है कि नेपाल में भी बंदूकों की सप्लाई होती थी।
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5 हजार में छोटे और 40 हजार में देते थे बड़े हथियार
-मुरलीधर शर्मा ने बताया कि चारों से पूछताछ में पता तला है कि रिवाल्वर के पार्ट्स को उमेश और कार्तिक 5 हजार रुपये के एवज में सप्लाई करते थे, जबकि 40 हजार रुपये मिलने पर कारबाइन, एसएलआर, इंसास जैसे बड़े हथियारों के पार्ट्स निकालकर बेच देते थे। इन हथियारों के पार्ट्स को बिहार ले जाकर अजय और जयशंकर रिइंस्टॉल कराकर माओवादियों या माफिया समूहों को बेचते थे।
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कार, बस या ट्रेन से ले जाते थे हथियार
-इच्छापुर राइफल फैक्ट्री से हथियारों के पार्ट्स को लेकर वे अलग-अलग पैकिंग करते थे और सुविधा के अनुसार कभी बस से तो कभी ट्रेन से तो कभी अपनी गाड़ी से भी लेकर जाते थे। बंदूकों के पार्ट्स अलग-अलग होने के कारण पुलिस को चकमा देना आसान होता था।
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पंजाब से लाते थे कारतूस
-एसटीएफ पूछताछ में बिहार के दोनों अपराधी अजय व जयशंकर ने बताया है कि वे पंजाब से कारतूसों को लेकर आते थे। कोलकाता एसटीएफ ने पंजाब पुलिस के साथ भी इस जानकारी को साझा किया है। इसके अलावा यह भी पता चला है कि वे पश्चिम बंगाल के अलावा अन्य राज्यों के राइफल फैक्ट्रियों से भी अवैध तरीके से हथियारों की निकासी करते रहे हैं। इस बारे में भी एसटीएफ ने दूसरे राज्यों की जांच एजेंसियों से संपर्क साधा है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी सितंबर महीने में एसटीएफ ने इच्छापुर राइफल फैक्ट्री के दो अधिकारियों को बंदूकों को बाहर निकालकर बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इन लोगों के तार भी उनसे जुड़े हैं कि नहीं, इसकी जांच की जा रही है।