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तीन साल पहले मरी मां का शव फ्रिज में रख बेटा उठाता रहा पेंशन, पिता के लिए भी लाया था फ्रीजर

घटना बेहला थाना इलाके के 25 नंबर जेम्स लॉन्ग सरणी की है। आरोपित बेटा फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में काम करता है।

By BabitaEdited By: Published: Thu, 05 Apr 2018 10:51 AM (IST)Updated: Fri, 06 Apr 2018 04:25 PM (IST)
तीन साल पहले मरी मां का शव फ्रिज में रख बेटा उठाता रहा पेंशन, पिता के लिए भी लाया था फ्रीजर
तीन साल पहले मरी मां का शव फ्रिज में रख बेटा उठाता रहा पेंशन, पिता के लिए भी लाया था फ्रीजर

जागरण संवाददाता, कोलकाता। मां को प्रति महीने मिलने वाली 50 हजार रुपये की पेंशन लेते रहने के लिए एक बेटा तीन साल से मां के शव को संरक्षित करके रखा था। प्रति वर्ष उनके अंगूठे का निशान लगाकर जीवित होने का प्रमाण बैंक में पेश करते था और डेबिट कार्ड के जरिए उनका पेंशन उठाता रहता था। घटना बेहला थाना इलाके के जेम्स लांग सरणी की है। बुधवार देर रात सूत्रों के हवाले से जानकारी मिलने के बाद डीसी एसईडी निलांजन विश्वास के नेतृत्व में पुलिस की टीम ने छामेमारी की जहां से वृद्धा के शव को बरामद किया गया है। उनका नाम बीना मजूमदार (84) है।

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वह फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) में बड़े पद से सेवा निवृत्त हुईं थीं। इस बारे में निलांजन ने बताया है कि करीब तीन वर्ष पहले उम्रजनित बीमारियों की वजह से बीना की मौत बेहला के ही एक अस्पताल में हो चुकी थी लेकिन उनके बेटे शुभब्रत मजुमदार (46) ने शव का अंतिम संस्कार करने के बजाए उसे घर के अंदर ही फ्रीजर में रख दिया था। आरोपित बेटे ने लेदर टेक्नोलॉजी इंजीनिय¨रग की पढ़ाई की है और मां के शव को संरक्षित करने के लिए ऐसे रसायनों का इस्तेमाल करता था जिसके कारण शव सड़े नहीं।

उसके पिता गोपाल चंद्र मजुमदार (89) अभी जीवित हैं और इसी इमारत में रहते हैं। पति-पत्नी दोनों फूड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) में बड़े पद से सेवानिवृत्त हैं। मां बीना मजूमदार को 50 हजार रुपये प्रति महीने पेंशन मिलता था। माना जा रहा है कि इसी रुपये को प्रति महीने उठाने के लिए शुभब्रत ने ऐसा किया था। बताया गया है कि इंजीनिय¨रग की पढ़ाई करने के बाद भी वह कोई नौकरी स्थिर तौर पर नहीं करता था और मां-बाप के पेंशन से ही गुजारा कर रहा था।

2015 में बेहला के ही अस्पताल में हुई थी मौत
-बेहला के ही बालानगर अस्पताल में बीना मजूमदार की मौत वर्ष 2015 में ही हो गई थी। उक्त अस्पताल से पुलिस ने जानकारी लेने के लिए संपर्क साधा है। अस्पताल की ओर से बताया गया है कि 7 अप्रैल 2015 को रात 8 बजे बीना को उक्त अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसी दिन रात 9.55 बजे उनकी मौत हो गई थी। शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया था जिसकी वजह से बीना ने दम तोड़ दिया था। मां की मौत के बाद अस्पताल से मिले डेथ सर्टिफिकेट को छिपाकर उसने लिविंग सर्टिफिकेट जुगाड़ा था जिसके जरिए मां की बीमारी का बहाना बनाकर वह पेंशन उठाता था। प्रति वर्ष उनके जीवित होने के प्रमाण के रूप में शुभब्रत उनके अंगूठे के निशान को लेकर जाता था और कहता था कि काफी उम्र हो जाने के कारण वह हस्ताक्षर करना भूल गई हैं।

बाप के लिए भी ले आया था फ्रीजर
पुलिस ने शुभब्रत के घर से दो फ्रीजर बरामद किया है। एक में तो उसने मां के शव को रखा था लेकिन दूसरा क्यों लाया था, इस बारे में जांच की जा रही है। दावा किया जा रहा है कि दूसरा फ्रीजर उसने पिता के लिए लाया था। उनकी मौत के बाद उन्हें भी फ्रीजर में रखकर पेंशन उठाने की योजना शुभब्रत ने बनाई थी।

मां को पीस हेवेन में रखने का करता था दावा
स्थानीय लोगों ने बताया है कि मां के बारे में पूछने पर शुभब्रत बताता था कि उसने मां को पीस हेवेन में रखा है। अपने पिता गोपालचंद्र मजुमदार से भी वह यही कहता था कि उसने मां को जिंदा रखने की जुगत लगाई है। पुलिस गोपाल से भी पूछताछ कर यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि आखिरकार उन्होंने बेटे की इस साजिश के बारे में किसी को जानकारी क्यों नहीं दी।

शरीर के अंदर से निकाला था सड़ने वाला अंग
शव की नाभी के उपर कट के निशान मिले हैं और अंदर से सारे अंग भी गायब हैं। माना जा रहा है कि उसने उन सभी अंगों को काटकर निकाल दिया है जिनके सड़न व दुर्गध की आशंका थी। घर के अंदर से ऐसे कई केमिकल मिले हैं जिसके जरिए चमड़े को सड़ने से बचाया जाता है। उल्लेखनीय है कि महानगर में ऐसी घटनाएं पहले भी होती रही हैं। शेक्सपियर सरणी थाना इलाके के रॉबिंसन स्ट्रीट का कंकाल तो पूरी दुनिया में सुर्खियां बना था। यहां एक व्यक्ति अपनी बहन के शव के साथ सालों से रह रहा था।

विगत कांड महीनों में भी ऐसी तमाम घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें लोग मरे हुए अपने परिजनों के साथ बरसों तक रहते रहे लेकिन आस-पास रहने वालों में से किसी को कानों कान खबर तक ना लगी। बेहला थाना इलाके में भी ऐसी घटना के प्रकाश में आने के बाद महानगर की चकाचौंध व चारदीवारियों के बीच कैद होती जिंदगियों की हकीकत खोल कर रख दी है।


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