22 साल बाद गलत इलाज से मरे किशोर के परिजनों को मिला इंसाफ, 19 लाख का मुआवजा देने का सुनाया फैसला
गलत चिकित्सा का दोषी करार देते हुए मृतक के परिवार को एक महीने के अंदर 19 लाख 10 हजार रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है।
हुगली, जागरण संवाददाता। 22 साल बाद हुगली जिले के गोंदलपाड़ा में रहने वाले चौधरी परिवार को आखिरकार इंसाफ मिला। हुगली की क्रेता सुरक्षा अदालत ने चंदननगर महकमा अस्पताल को गलत चिकित्सा का दोषी करार देते हुए मृतक के परिवार को एक महीने के अंदर 19 लाख 10 हजार रुपये का मुआवजा देने का फैसला सुनाया है।
गौरतलब है कि वर्ष 1996 में 15 साल के दीननाथ चौधरी को कुत्ते ने काट लिया था। उसे तुरंत चंदननगर महकमा अस्पताल ले जाया गया। चिकित्सक ने दवा दी। निर्धारित समय पर 10 एंटी रैबीज इंजेक्शन भी लगाया गया। इंजेक्शन का कोर्स पूरा होने के दो महीने बाद से ही दीननाथ की हालत बिगड़ने लगी।
उसे रैबीज की बीमारी हो गई। परिवारवाले उसे बेलियाघाटा आइडी अस्पताल ले गए, जहां तीन दिन बाद उसकी मौत हो गई। मामले की जांच में पता चला कि चंदननगर महकमा अस्पताल में एंटी रैबीज इंजेक्शन को फ्रिजर में नहीं रखा गया था, जिससे वे नष्ट हो गए थे।
एकमात्र बेटे की मौत के बाद उसके पिता बद्री चौधरी ने मानवाधिकार संस्था एपीडीआर से संपर्क किया। लंबी लड़ाई शुरू हुई। अंत में मृतक के परिजनों की जीत हुई लेकिन बद्री चौधरी इस जीत को देख नहीं पाए।
पिछले साल उनकी मौत हो गई। दीननाथ की मां ने कहा-'इतने दिन बाद उनके लड़के को न्याय मिला। आज उसके पिता जीवित होते तो सबसे ज्यादा खुशी उन्हीं को होती। बेटे के गम में वे पिछले साल स्वर्ग सिधार गए।'