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Bengal Chunav: ममता दीदी का सवाल, आखिर बंगाल में आठ चरणों में चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं?

Bengal Chunav वर्ष 2011 में वाममोर्चा ने इतने अधिक चरणों में मतदान कराने का विरोध किया था और अब देखा जा रहा है कि 2021 में अधिक चरणों में चुनाव कराए जाने को लेकर तृणमूल की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 27 Feb 2021 10:24 AM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 10:25 AM (IST)
Bengal Chunav: ममता दीदी का सवाल, आखिर बंगाल में आठ चरणों में चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं?
आयोग ने पूरी समीक्षा व ग्राउंड रिपोर्ट लेकर ही यह निर्णय लिया है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। Bengal Chunav आखिरकार बंगाल में विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। राज्य की 294 विधानसभा सीटों पर इस बार आठ चरणों में वोट डाले जाएंगे। कई जिलों में दो से तीन चरणों में मतदान कराए जा रहे हैं। यह पहली बार नहीं जब बंगाल में पांच से अधिक चरणों में मतदान की घोषणा हुई है। इससे पहले 2011 में छह और 2016 के चुनाव में सात चरणों में मतदान हुआ था। 2011 में वाममोर्चा ने इतने चरणों में मतदान कराने का विरोध किया था और अब देखा जा रहा है कि 2016 हो या फिर अब 2021 में अधिक चरणों में चुनाव कराए जाने को लेकर तृणमूल कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल किया है कि आखिर बंगाल में आठ चरणों में चुनाव क्यों कराए जा रहे हैं? जो भाजपा ने कहा, वही चुनाव आयोग ने किया। एक जिले में दो-तीन चरणों में चुनाव क्यों? केंद्र अपनी ताकतों का इस तरह दुरुपयोग नहीं कर सकता। अगर केंद्र सरकार इस तरह अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करेगी तो यह बड़ी भूल होगी, उन्हें इसका अंजाम भुगतना होगा। हम आम लोग हैं और अपनी लड़ाई लड़ेंगे। मैं चुनाव आयोग से अपील करती हूं कि वह पैसे के दुरुपयोग को रोके, भाजपा ने एजेंसियों के जरिये जिलों में पैसे भेजे हैं। ये सब तरीके काम नहीं आएंगे, बंगाल में बंगाली ही राज करेगा, हम भारतीय जनता पार्टी को हराकर रहेंगे। उनका सीधा आरोप है कि भाजपा ने चुनाव आयोग का इस्तेमाल किया है। परंतु यहां सवाल यह उठ रहा है कि आखिर चुनाव आयोग को आठ चरणों में मतदान कराने की जरूरत क्यों पड़ी?

इसका सरल जवाब चुनावी हिंसा का इतिहास है। देश में सियासी और चुनावी हिंसा के लिए बंगाल कुख्यात है। आम मतदाता चाहते हैं कि चुनाव शांतिपूर्ण और निर्बाध हो। इसके लिए जरूरी है कि सुरक्षा के बंदोबस्त कड़े हों। यदि अधिक चरणों में मतदान होंगे तो सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध होंगे और गड़बड़ी की आशंका कम होगी। ममता जब विपक्ष में थीं तो राष्ट्रपति शासन लगाकर चुनाव कराने की मांग करती थीं।

वर्ष 2011 में जब छह चरणों में मतदान की घोषणा हुई तो उन्होंने आयोग की सराहना की थी। परंतु देखा जा रहा है कि जब वह सत्ता में है तो अधिक चरणों में मतदान कराने को लेकर सवाल उठ रही हैं और विपक्षी दल स्वागत कर रहे हैं। आयोग ने पूरी समीक्षा व ग्राउंड रिपोर्ट लेकर ही यह निर्णय लिया है। इस पर सभी को भरोसा करना चाहिए।


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