Bengal Election: बंगाल पुलिस पर पार्टी देखकर कार्रवाई करने पर सवालिया निशान
Bengal Assembly Elections 2021 कोलकाता में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालते हुए ‘बंगाल के गद्दारों को गोली मारो.. को’ के नारे लगाए थे लेकिन इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। इस पर पुलिस अधिकारियों से लेकर उच्च पद पर बैठे मंत्रियों को सोचना होगा। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Bengal Assembly Elections 2021 बंगाल पुलिस एवं प्रशासन पर अक्सर ही आरोप लगते हैं कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के इशारे पर एकतरफा कार्रवाई करती है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण एक बार फिर गुरुवार को सामने आ गया। वह भी उस समय जब केंद्रीय चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त समेत पूरी पीठ कोलकाता में मौजूद है। दरअसल हुगली जिले के श्रीरामपुर में रोड शो के दौरान आपत्तिजनक नारे लगाने के आरोप में भाजपा के युवा मोर्चा के तीन नेताओं को तत्काल प्रभाव से गिरफ्तार कर लिया गया।
बंगाल पुलिस ने युवा मोर्चा के अध्यक्ष सुरेश साव और दो पार्टी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। दोनों को चंदननगर कोर्ट में पेश किया गया है जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया, परंतु ऐसा ही नारा मंगलवार को कोलकाता में तृणमूल नेताओं, कार्यकर्ताओं ने लगाया तो उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसी से पता चलता है कि बंगाल की पुलिस किस तरह से पार्टी का रंग देखकर कार्रवाई करती है।
दरअसल बुधवार को चंदननगर में भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी ने रोड शो किया था। इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने ‘देश के गद्दारों को, गोली मारो..को’ के नारे लगाए थे। इसके कुछ घंटे के भीतर ही मामले में पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर भाजपा युवा मोर्चा अध्यक्ष सुरेश साव, कार्यकर्ता रॉबिन घोष और प्रभात गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया। वहीं ठीक इसी तरह से मंगलवार को कोलकाता में तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जुलूस निकालते हुए ‘बंगाल के गद्दारों को गोली मारो.. को’ के नारे लगाए थे, लेकिन इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि एक ही तरह के अपराध में पार्टी के रंग देखकर कार्रवाई क्यों? भाजपा से लेकर सूबे की तमाम विपक्षी पार्टियां और यहां तक कि राज्यपाल जगदीप धनखड़ तक बार-बार यह कहते रहे हैं कि पुलिस प्रशासन निष्पक्ष रूप से काम नहीं करते हैं।
गुरुवार को चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ के समक्ष भी भाजपा ने यह मुद्दा उठाया तो तृणमूल ने सीमा सुरक्षा बल पर आरोप लगा दिया कि सीमावर्ती क्षेत्र में किसी खास दल के लिए लोगों को वोट डालने के लिए धमका रहे हैं। हालांकि बीएसएफ ने कड़े शब्दों में तृणमूल नेता के इस आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि उनका काम सीमा की रक्षा करना है, न की राजनीति, परंतु चंदननगर और कोलकाता की दोनों ही एक तरह की घटना में अलग-अलग कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि पुलिस किस तरह से काम कर रही है। इस पर पुलिस अधिकारियों से लेकर उच्च पद पर बैठे मंत्रियों को सोचना होगा।