West Bengal: पड़ोसी राज्यों से प्रवासी श्रमिकों को लाने के लिए बसें भेज रही हैं बंगाल की जूट मिलें
Bengal jute mills प्रवासी श्रमिक जिनमें से कई लॉकडाउन के दौरान पड़ोसी राज्य बिहार और झारखंड में अपने घर लौट आए थे वे अभी तक उस काम पर वापस नहीं आए हैं।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। राज्य सरकार द्वारा कारखानों में शत-प्रतिशत उपस्थिति की अनुमति देने के साथ ही जून की शुरुआत से होजरी और रियल एस्टेट से जुड़ी विनिर्माण इकाइयां अपनी क्षमता से चल रही हैं, लेकिन प्रवासी मजदूरों की अनुपस्थिति के कारण बंगाल की जूट मिलें श्रम की कमी से जूझ रही हैं। जूट उद्योग के सूत्रों ने कहा कि कई जूट मिलें प्रवासियों की अनुपस्थिति में 60-70 प्रतिशत की क्षमता पर काम कर रही हैं।
प्रवासी श्रमिक, जिनमें से कई लॉकडाउन के दौरान पड़ोसी राज्य बिहार और झारखंड में अपने घर लौट आए थे, वे अभी तक उस काम पर वापस नहीं आए हैं। खरीफ सीजन के दौरान सरकार से जूट पैकेजिंग सामग्री की भारी मांग को पूरा करने के लिए जूट मिलों के लिए एक बड़ी चुनौती है।
जूट मिल मालिकों के एक वर्ग ने कहा कि वे अपने श्रमिकों को वापस लाने के लिए बिहार और अन्य राज्यों में बस भेज रहे हैं, जो तालाबंदी के बाद घर वापस चले गए। बिहार और झारखंड में अपने मूल स्थानों पर लौटने वाले कई लोग वायरस के डर से नहीं लौटना चाहते हैं और घटते काम के कारण कमाई भी नहीं कर पा रहे हैं।
भारतीय जूट मिल संघ के पूर्व अध्यक्ष और कुछ मिलों के मालिक, संजय कजारिया ने कहा कि सरकार की मांग बहुत बड़ी है, जूट पैकेजिंग सामग्री के लिए खरीफ का ऑर्डर अधिक है, जो तभी मिल सकता है जब मिलों में 100 फीसदी कामगार हों। बताते चलें कि पश्चिम बंगाल देश में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक है और राज्य की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार माना जाता है।