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बाबा तारक नाथ की महिमा अपरमपार

सरोज शर्मा हुगली पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के तारकेश्वर स्थित बाबा तारक नाथ का मंदिर भक्तों क

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Feb 2020 08:28 PM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:18 AM (IST)
बाबा तारक नाथ की महिमा अपरमपार
बाबा तारक नाथ की महिमा अपरमपार

सरोज शर्मा, हुगली : पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के तारकेश्वर स्थित बाबा तारक नाथ का मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक है। यही कारण है कि यहा सालों भर अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए श्रद्धालु मत्था टेकने आया करते हैं। भक्तों का मानना है कि शिवरात्रि के दिन जो भक्त बाबा का जलाभिषेक करके उनकी आराधना करते हैं बाबा तारक नाथ उन भक्तों पर सदा अपनी कृपा बनाए रखते हैं। महाशिवरात्रि के दिन बाबा के मंदिर में हजारों की संख्या में दूर दराज से श्रद्धालु यहा आया करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार सन् 1829 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था। बाबा की मंदिर के पास एक प्राचीन दूधपुकुर (तालाब) है। जहा भक्त डुबकी लाकर तारक नाथ का दर्शन करते हैं। कहा जाता है कि विष्णु दास नामक भक्त एक दिन अपने भाई के साथ जंगल में घूम रहे थे। उसी समय उन्होंने देखा कि जंगल के बीचों बीच एक शिव लिंग पर एक कामधेनु दूध से उनका अभिषेक कर रही है। यह कामधेनु इसी प्रकार रोजाना प्रात: सूर्य के उदय के समय भगवान शकर के उपर अपने दूध से उनका अभिषेक किया करती थी।

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एक दिन बाबा तारक नाथ विष्णु दास के सपने में आए। उस रात भगवान शकर ने उनसे कहा कि कामधेनु गाय हमारे जिस लिंग पर रोजाना अपने दूध से मेरा अभिषेक करती है। तुम उस स्थान पर मंदिर का निर्माण करो। प्रभु की इस आज्ञा का पालन करते हुए स्वामी विष्णु दास ने उसी स्थान पर बाबा तारक नाथ का मंदिर बनाया। तबसे तारकेश्वर की इस भगवान शकर के शक्ति लिंग का दर्शन करने देश के कोने कोने से लोग आया करते हैं। पौराणिक कथा के मुताबिक पहली बार चैतन्य महा प्रभु ने शेवड़ाफूली निमाई तीर्थ गंगा घाट से अपने कंधे पर जल लेकर बाबा तारक नाथ के मंदिर गये थे और उसी गंगा जल से उन्होंने ने तारक नाथ का जलाभिषेक किया था। चैतन्य प्रभू का उर्फ नाम निमाई था। इस लिए शेवड़ाफूली गंगा घाट का नाम उनके नाम पर निमाई तीर्थ घाट रखा गया है। भक्तों का कहना है कि बाबा तारक नाथ की महिमा अपरम पार है। उनकी भक्ति की शक्ति पाने के लिए लाखों की संख्या में प्रत्येक वर्ष सावन माह में कावर लेकर यहा श्रद्धालु आया करते हैं। जबकि महाशिवरात्रि के दिन भी बाबा के भक्त तारक नाथ का जलाभिषेक करने के लिए निमाई तीर्थ घाट से कावर लेकर मंदिर की ओर कूच करते हैं। यू तो परंपरागत बाबा के भक्त दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कोलकाता के भूतनाथ, काली घाट मंदिर तथा बाबू घाट से भी कावर लेकर पैदल बाबा तारक नाथ धाम जाया करते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर मंदिर के पास मेला का भी आयोजन किया जाता है।

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महाशिवरात्रि पर मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम : चेयरमैन

तारकेश्वर नगरपालिका के चेयरमैन सपन कुमार सामंत ने बताया कि महाशिवरात्रि को लेकर जिला पुलिस ने मंदिर तथा उसके आस पास के इलाकों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। मंदिर परिसर में भक्तों की सुविधा के लिए सीसीटीबी कैमरे लगाये गये हैं। जबकि राजबाड़ी के पास पुलिस ने श्रद्धालुओं के लिए सहायता कैंप भी बनाया है। नगरपालिका की ओर इलाके की साफ सफाई करके अच्छी रोशनी तथा श्रद्धालुओं के लिए पेयजल एवं प्राथमिक चिकित्सा की व्यवस्था की गई है। मंदिर से सटे दूधपुकुर की नियमित साफ सफाई के अलावा महाशिवरात्रि के दिन यहा सुरक्षा व्यवस्था की गई है। रास्ते पर जाम की स्थिति उत्पन्न ना हो इसके लिए मंदिर के रास्ते पर जगह जगह बैरिकेड लगाए गए हैं। जबकि पुलिस प्रशासन ने मंदिर के भीतर एवं बाहर सफेद पोशाक में महिला एवं पुरुष पुलिसकर्मियों को तैनात किये जाने की व्यवस्था र्की है।


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