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गरीब मैकेनिक के बेटे ने सात समंदर पार दिखाया बास्केटबॉल का खेल

किसने सोचा था कि बंगाल के छोटे से शहर ब‌र्द्धमान के एक गरीब मैकेनिक का बेटा सात समंदर पार अमेरिका जाकर बास्केटबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा।

By JagranEdited By: Published: Sun, 09 Feb 2020 08:34 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 06:21 AM (IST)
गरीब मैकेनिक के बेटे ने सात समंदर पार दिखाया बास्केटबॉल का खेल
गरीब मैकेनिक के बेटे ने सात समंदर पार दिखाया बास्केटबॉल का खेल

-मजबूत इरादे से तय किया बंगाल से अमेरिका तक का फासला

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-बास्केटबॉल में भारत का नाम दुनियाभर में रोशन करना है लक्ष्य विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता : किसने सोचा था कि बंगाल के छोटे से शहर ब‌र्द्धमान के एक गरीब मैकेनिक का बेटा सात समंदर पार अमेरिका जाकर बास्केटबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। 16 साल के करण पाशी ने अपने मजबूत इरादे से इसे मुमकिन कर दिखाया। उसने सच्ची लगन और कड़ी मेहनत के बूते ब‌र्द्धमान के बादामतल्ला से अमेरिका के फ्लोरिडा तक का हजारों मील का फासला तय किया और वहां अपने शानदार खेल से सबका मन मोह लिया। पांच फुट नौ इंच के कद वाले इस होनहार खिलाड़ी का लक्ष्य बास्केटबॉल में भारत का नाम दुनियाभर में रोशन करना है। करण फिलहाल यूथ और नेशनल गेम्स की तैयारी कर रहा है। इसके लिए वह रोजाना ब‌र्द्धमान के अरविंद स्टेडियम में तीन-चार घंटे पसीना बहा रहा है। मुफलिसी से लड़कर बढ़ा आगे

महान बास्केटबॉल खिलाड़ी माइकल जार्डन ने कहा है-'अगर आप किसी चीज से हार मानकर उसे करना छोड़ दोगे तो वह आपकी आदत बन जाएगी इसलिए कभी हार नहीं माननी चाहिए।' गरीबी में जन्मे और तंगी के बीच पले-बढ़े करण के मन में यह बात 11 साल की छोटी सी उम्र में घर कर गई थी। पिता सुरेश पाशी मामूली मैकेनिक और मां कविता पाशी आम गृहिणी। जिस परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना ही सबसे बड़ी चुनौती हो, उस घर का बेटा बास्केटबॉल जैसे महंगे खेल में करियर बनाने की सोचे भी तो कैसे? लेकिन कहते हैं न, कुछ करने के लिए सपने देखना जरुरी है। मुफलिसी के बीच ही करण ने सपना देखा और उसे पूरा करने में पूरी शिद्दत से जुट गया। परिवार ने भी पूरा साथ दिया। रोड रोलर की मरम्मत कर परिवार चलाने वाले पिता ने इधर-उधर से पैसे जुटाकर उसे चार हजार रुपये वाला महंगे जूता खरीदकर दिया। मां ने भी जितना हो सका, उसके खाने-पीने का खयाल रखा।

बादामतल्ला के शिवाजी संघ इलाके के रहने वाले करण ने बताया-'हमारे घर के पास ही एक बास्केटबॉल कोर्ट है। वहां मेरे भैया अमित भी वहां जाते थे। उन्हें देखकर ही इस खेल दिलचस्पी जगी। अमित भी राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुके हैं। यूं मिला बड़ा मौका

कोलकातामें एक स्कूल टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने पर करण का रिलायंस फाउंडेशन के जूनियर एनबीए प्रोग्राम के लिए चयन हो गया। एनबीए एकेडमी में प्रशिक्षण के दौरान उसने बास्केटबॉल के महत्वपूर्ण पहलुओं, मसलन डिफेंस, ड्रिल और शूटिंग को बारीकी से सीखा। 2018 में रिलायंस फाउंडेशन जूनियर एनबीए नेशनल फाइनल्स में करण ने चमक बिखेरी। 2019 में दिल्ली में हुए स्कूल नेशनल और तमिलनाडु में ओपन नेशनल में भी करण ने शानदार प्रदर्शन किया, जिसके बूते उसी साल अगस्त में अमेरिका के फ्लोरिडा में हुई जूनियर एनबीए ग्लोबल चैंपियनशिप के लिए भारतीय टीम में उसका चयन हुआ। भारतीय टीम चैंपियनशिप तो नहीं जीत पाई लेकिन करण ने अपने खेल से सबको प्रभावित किया।

ब‌र्द्धमान शिवकुमार हरिजन विद्यालय में दसवीं के छात्र करण ने अनुभव साझा करते हुए कहा-'जब मेरा भारतीय टीम में चयन हुआ तो मैं थोड़ा नर्वस था लेकिन कोर्ट पर उतरते ही मेरा सारा डर दूर हो गया। अमेरिका जैसे बास्केटबॉल के दीवाने देश में भारत का प्रतिनिधित्व करना मेरे लिए सपना पूरा होने जैसा था।' करण को क्रिकेट का भी काफी शौक है। पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी उसके पसंदीदा खिलाड़ी है। महान बास्केटबॉल खिलाड़ी कोब ब्रायंट की मौत से पहुंचा दुख

करण को महान बास्केटबॉल खिलाड़ी कोब ब्रायंट की हेलीकाप्टर हादसे में मौत से काफी दुख पहुंचा हैं। उन्होंने कहा-'

ब्रायंट मेरे आदर्श थे। मैंने टीवी पर उनके बहुत से मैच देखे हैं और उनका अनुसरण करता था। उनका इस तरह अचानक चले जाना वाकई काफी दुखद है।'


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