कोलकाता में चूहों से होने वाली नई बीमारी का प्रकोप, दो की मौत
-एक तरह का बुखार है और चिकित्सकों ने इस बीमारी का नाम दिया है कफ टाइफाइड -डेंगू की तर
-एक तरह का बुखार है और चिकित्सकों ने इस बीमारी का नाम दिया है कफ टाइफाइड
-डेंगू की तरह ही जानलेवा है और बुखार होने के एक सप्ताह के अंदर मरीज की मौत हो जा रही है
जागरण संवाददाता, कोलकाता : कोलकाता में मौत का कहर बन चुके डेंगू और स्वाइन फ्लू से निपटने के लिए राज्य स्वास्थ्य विभाग नाकों चने चबा रहा है। इस बीच चूहों से फैलने वाली एक नई बीमारी का प्रकोप बढ़ने लगा है। पिछले 10 दिनों के अंदर कोलकाता में एक सात साल के बच्चे और एक 26 साल की महिला की मौत इस बीमारी की वजह से हुई है। यह भी एक तरह का बुखार ही है और चिकित्सकों ने इस बीमारी का नाम दिया है कफ टाइफाइड। यह भी डेंगू की तरह ही जानलेवा है और बुखार होने के एक सप्ताह के अंदर मरीज की मौत हो जा रही है। खास बात यह है कि यह मच्छर से नहीं बल्कि चूहा और चूहे जैसे दिखने वाले अन्य जीवों से फैल रहा है। शनिवार को राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस बारे में पुष्टि की गई है। बताया गया है कि छह नवंबर को उल्टाडागा के बासंती कॉलोनी इलाके की रहने वाली साबिना बीबी (26) नाम की एक महिला की मौत इसी बीमारी की वजह से हुई थी। चिकित्सकों ने प्राथमिक तौर पर इसे डेंगू समझा लेकिन इसके लक्षण और जाच रिपोर्ट डेंगू के वायरस से मैच नहीं कर रहे थे। इसके बाद जब और गहन जाच की गई तो पता चला कि यह अलग तरह का बुखार है और मच्छर से नहीं बल्कि चूहों से फैल रहा है। इसके बाद गत 18 नवंबर को इसी बासंती कॉलोनी के रहने वाले सात साल के शुभ मयरा नाम के बच्चे की मौत डॉ. विधान चंद्र रॉय अस्पताल में हुई है। उसके भी खून के नमूने की जाच में इसी बीमारी का संक्रमण मिला है। शनिवार को बताया गया है कि इलाके में और सात से आठ लोग इस से पीड़ित हैं। चिकित्सकों ने सलाह दी है कि चूहा और चूहे जैसे दिखने वाले अन्य जीवों जैसे छछूंदर और अन्य से दूरी बनानी होगी और इन जीवों को घरों में नहीं आने देना होगा। बताया गया है कि इस बीमारी को फैलाने वाले वायरस विशेषकर चूहों में ही पाए जाते हैं। शनिवार को नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी बासंती कॉलोनी इलाके में पहुंचे थे। इलाके में साफ-सफाई का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने भी इलाके का दौरा किया है। इस बात की सूचना मिली है कि और आठ लोग इसी तरह के बुखार से पीड़ित हैं। उनके बेहतर इलाज का निर्देश स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया गया है। इसके साथ ही उनकी हालत और रोग के लक्षण पर भी नजर रखी जा रही है ताकि इससे मुकाबला किया जा सके। चिकित्सकों का कहना है कि अभी तक इस बुखार का कोई इलाज नहीं है और ना ही इसके लक्षणों की जाच के लिए कोई भी प्रक्रिया मौजूद है। उल्लेखनीय है कि पिछले साल डेंगू की वजह से पश्चिम बंगाल में 100 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इस साल भी कमोबेश 50 से अधिक लोग डेंगू और स्वाइन फ्लू की वजह से मौत के मुंह में समा गए हैं। इन बीमारियों से लड़ने में पश्चिम बंगाल सरकार कई सालों से जद्दोजहद कर रही है। इसके बाद अब चूहों से इस तरह की बीमारी का फैलना लोगों के अंदर डर पैदा कर रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसा शायद ही कोई घर होगा जहा चूहे नहीं होते होंगे। ऐसे में लोग अब बड़े पैमाने पर इस बात से डरने लगे हैं कि कहीं उन्हें भी इस तरह का बुखार ना हो जाए। स्वास्थ्य विभाग की ओर से आधिकारिक तौर पर इस बारे में अभी तक कोई अधिसूचना या सतर्कता जारी नहीं की गई है। इस बारे में प्रतिक्रिया के लिए जब स्वास्थ्य सचिव और स्वास्थ्य निदेशक से संपर्क किया गया तो किसी ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।