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साहित्यकार शीर्षेदु मुखोपाध्याय ने एनआरसी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

जागरण संवाददाता कोलकाता बुद्धिजीवी व बांग्ला साहित्यकार शीर्षेदु मुखोपाध्याय ने असम में जारी राष्

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 05:33 PM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 06:41 AM (IST)
साहित्यकार शीर्षेदु मुखोपाध्याय ने एनआरसी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
साहित्यकार शीर्षेदु मुखोपाध्याय ने एनआरसी को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

जागरण संवाददाता, कोलकाता : बुद्धिजीवी व बांग्ला साहित्यकार शीर्षेदु मुखोपाध्याय ने असम में जारी राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण यानी एनआरसी की निंदा करते हुए कहा कि इसे एक सोची समझी रणनीति के तहत हथियार बनाया गया है, जिसकी चपेट में आने से भारी संख्या में लोग बेघर होंगे और अगर ऐसा हुआ तो असम में इसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। वहीं असम से जुड़ी अपनी यादों को लेकर उन्होंने कहा कि उनके पिता असम के हाफलोंग में कार्यरत थे और उन्होंने वहां रहने के दौरान शानदार दिन बिताने के साथ वहां शिक्षा अर्जित की। इस दौरान ब्रह्मपुत्र और छोटी बराक घाटी की भयावह तूफान का भी उन्होंने जिक्र किया। आगे उन्होंने कहा असम में एनआरसी को लेकर स्थानीय लोग डरे सहमे हैं और वहां हर ओर इसी मुद्दे पर चर्चा हो रही है। वहीं भारी बरसात और ब्रह्मपुत्र की उफान से आई बाढ़ ने वहां के लोगों को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। ऐसे में उनके पास बचा ही क्या है, जिसे सुबूत के तौर पर वे सरकार के समक्ष पेश करे। इधर, बंगाल के ज्यादातर बुद्धिजीवी केंद्र की इस नीति का खुलेआम विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि एनआरसी सूची से करीब 19 लाख लोगों के नाम बाहर किए जाने से असम में एक अराजक माहौल बना है और इससे आम लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। इधर, बाढ़ में अपना सब कुछ गंवा चुके लोगों के पास कोई कागजात भी नहीं है, जिसके आधार पर वे खुद की नागरिकता प्रमाणित कर सके।

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