जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाएगी सरकार
राज्य ब्यूरो कोलकाता राज्य के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राज्य
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : राज्य के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से राज्य कारा विभाग ने जेलों (सुधारगृहों) में कौशल विकास कार्यक्रम चलाने का फैसला किया है। कार्यक्रम का उद्देश्य कैदियों को इस काबिल बनाना है कि छूटने के बाद वो अपनी रोजी-रोटी खुद कमा सकें।
कार्यक्रम को गति देने के लिए राज्य स्वयं सहायता समूह व स्व-रोजगार विभाग ने कारा विभाग के साथ आने का फैसला किया है। कार्यक्रम के तहत राज्य भर के जेलों में बड़े पैमाने पर वोकेशनल ट्रेनिंग के माध्यम से एक बड़ा शिक्षा अभियान भी चलाने की योजना है।
राज्य कारा (जेल) विभाग के एक अधिकारी के अनुसार कैदियों को पहले से लकड़ियों की टेबल-कुर्सी के साथ कई तरह की सजावटी वस्तुओं को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि हमने विभिन्न जेलों में कार्यशालाएं आयोजित कराई हैं, जहां कैदियों को सप्ताह में तीन दिन प्रशिक्षण दिया जाएगा। कैदियों को विभिन्न समूहों में विभक्त किया जाएगा, एक समूह में कुल 25 कैदी होंगे। अधिकारी के कैदियों की सीखने की क्षमता के अनुसार कार्यशालाएं छह महीने से एक साल तक के लिए चलेंगी।
राज्य की स्वयं-सहायता व स्व-रोजगार विभाग, कारा विभाग के साथ मिल कर सुधारगृहों में कैदियों के शैक्षणिक विकास के साथ उन्हें वोकेशनल ट्रेनिंग देने पर काम करेगा।
राज्य सरकार की अंडरटेकिंग संस्था पश्चिम बंगाल स्वरोजगार कारपोरेशन लिमिटेड (डब्लूबीएससीएल) सुधारगृहों में यह कार्यक्रम चलाएगी। संस्था राज्य भर में बेरोजगार युवाओं को रोजगार आधारित प्रशिक्षण प्रदान करती है। संस्था के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रशिक्षण के लिए हमारी प्राथमिकता में ऐसे कैदी होंगे, जिनकी सजा छह महीने से एक साल में पूरी होनेवाली है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कैदियों को छूटने के बाद आवश्यकता पड़ने पर आर्थिक मदद भी की जाएगी। साथ ही छूटने के बाद उन्हें राज्य सरकार की स्वामी विवेकानंद स्वनिर्भर कर्मसंस्थान प्रकल्प के साथ भी जोड़ा जाएगा।