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रवींद्र सरोवर में छठ पूजा पर पाबंदी

जागरण संवाददाता कोलकाता महानगर के रवींद्र सरोवर में छठ पूजा समेत सभी धार्मिक व सामाजिक आयो

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 08:40 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 08:40 AM (IST)
रवींद्र सरोवर में छठ पूजा पर पाबंदी
रवींद्र सरोवर में छठ पूजा पर पाबंदी

जागरण संवाददाता, कोलकाता : महानगर के रवींद्र सरोवर में छठ पूजा समेत सभी धार्मिक व सामाजिक आयोजन बंद होने जा रहे हैं। राष्ट्रीय जलाशय के रूप में पहचाने जाने वाले रवींद्र सरोवर को बचाने के लिए राज्य सरकार ने पूर्व कोलकाता के नोनाडांगा और दक्षिण कोलकाता के पाटुली में दो बड़े कृत्रिम जलाशयों का नवीनीकरण करा रही है। इसके साथ ही छठ पूजा के लिए यहां घाट भी बनाए जाएंगे। आने वाले दिनों में सभी सामाजिक, धार्मिक अनुष्ठान इन्हीं दो जलाशय के घाटों पर आयोजित किए जाएंगे। बताया गया है कि इसकी अनुमानित लागत 40 लाख है। इसके लिए राज्य सरकार ने व्यापक प्रचार भी शुरू कर दिया है। 1920 में कलकत्ता इंप्रूवमेंट ट्रस्ट द्वारा निर्मित रवींद्र सरोवर की रक्षा के लिए लंबे समय तक आंदोलन चला। इसको लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण को भी कई बार हस्तक्षेप करना पड़ा था। इसके बाद प्राधिकरण ने पर्यावरण संरक्षण के लिए रवींद्र सरोवर व उसके आसपास मौजूद सभी पेड़ों की रक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर सौंपी थी। इसी दिशानिर्देश के मद्देनजर राजय के शहरी विकास मंत्रालय की ओर से यह कदम उठाया गया है। इस बारे में शहरी विकास मंत्रालय विभाग के सचिव सुब्रत गुप्ता कहते है, शहर में दो जलाशयों के नवीनीकरण का कार्य पूर्वी कोलकाता के नोनाडांगा और दक्षिण कोलकाता के पाटुली में कराया जा रहा है। दोनों जलाशय क्रमश: दो और तीन एकड़ में फैला हुआ है। वहां अनुष्ठान के लिए घाट भी बनवाया जा रहा है। इसके साथ ही वहां प्रकाश की व्यवस्था की गई है। आने वाले दिनों में छठ पूजा समेत सभी प्रकार के सामाजिक और धार्मिक आयोजन इन दोनों जलाशयों में किए जाएंगे।

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इसके लिए केएमडीए इन दोनों जलाशयों छठ पूजा सहित अन्य सामाजिक और धार्मिक आयोजनों के लिए लगातार अभियान चला रहा है। वहीं सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए पर्यावरणविद् सुभाष दत्त ने कहा कि रवींद्र सरोवर की रक्षा के लिए राज्य का कदम बहुत सकारात्मक है। सरकार के इस अभियान में सबको अपना योगदान देना होगा। रवींद्र सरोवर राज्य का एकमात्र जलाशय है, जहां फिसिंग बैन किया गया है। वहीं सर्दी के मौसम में यहां कई पक्षी आते हैं। जलाशय के प्राकृतिक संतुलन की रक्षा के लिए ये प्रतिबंध लगाए गए हैं। इससे पर्यावरण संरक्षण में भी बहुत मदद मिलेगी।


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