साहित्य का लक्ष्य मानवता का कल्याण है : राज्यपाल
मैं अपने को कवि नहीं मानता लेकिन सच पूछा जाए तो कवि के रूप में मुझे स्वीकृति कोलकाता में ही मिली।
वि.,कोलकाता: मैं अपने को कवि नहीं मानता, लेकिन सच पूछा जाए तो कवि के रूप में मुझे स्वीकृति कोलकाता में ही मिली। साहित्य का लक्ष्य मानवता का कल्याण है। हम सभी को इसके लिए समर्पित होना है। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने अपने अभिनंदन की कृतज्ञता व्यक्त करते हुए ये बातें कहीं। उन्हें भारतीय भाषा परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी द्वारा साहित्य सेवी सम्मान प्रदान किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन परिषद की अध्यक्ष डॉ.कुसुम खेमानी ने किया। इस सम्मान से प्राप्त होने वाली राशि इलाहाबाद के एक शिक्षण संस्थान पुरुषोत्तम दास टंडन हिंदी विद्यापीठ को अर्पित कर दिया।
राज्यपाल ने कथाकार कुसुम खेमानी के नए उपन्यास 'लालबत्ती की अमृत कन्याएँ' का लोकार्पण करते हुए अपने भाषण में कहा कि लालबत्ती एक चौंकाने वाला शब्द है लेकिन यह हमारे समाज के एक यथार्थ को उभारता है। हम सिर्फ आदशरें की दुनिया में नहीं रह सकते। हमें यथार्थ का भी सामना करना होगा। यह उपन्यास अत्यंत महत्वपूर्ण है और निश्चय ही पाठक समुदाय इसका स्वागत करेगा।
राज्यपाल के अभिनंदन के पश्चात लिटिल थेस्पियन द्वारा राज्यपाल की कविता 'विहान' की नाट्य प्रस्तुति की गई। इसका निर्देशन उमा झुनझुनवाला ने किया। सास्कृतिक संस्था नीलाबर द्वारा उनकी कुछ कविताओं का मोंताज भी प्रस्तुत हुआ। इसका निर्देशन विशाल पाडेय ने किया था। समारोह में स्वागत भाषण परिषद के निदेशक डॉ. शभुनाथ ने दिया। संचालन करते हुए प्रो. राजश्री शुक्ला ने कहा कि महामहिम का अभिनंदन वस्तुत: हमारा उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापन है। यह अभिनंदन साहित्य प्रेम का अभिनंदन है। परिषद की मंत्री डॉ. बिमला पोद्दार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।