जल संरक्षण को ममता ने लिखा गीत, जल संरक्षण के बिना धरती को होने वाले नुकसान का उल्लेख
जल संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गीत लिखा है और खास बात यह है कि इस गीत को उन्हीं के कैबिनेट मंत्री इंद्रनील सेन ने गाया है।
कोलकाता, जागरण संवाददाता। जल संरक्षण के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गीत लिखा है और खास बात यह है कि इस गीत को उन्हीं के कैबिनेट मंत्री इंद्रनील सेन ने गाया है। शुक्रवार को उन्होंने खुद यह गीत सोशल साइट पर साझा किया है।
इसमें मुख्यमंत्री ने लिखा है कि 12 जुलाई शुक्रवार को हमलोग जल बचाओ दिवस के रूप में मना रहे हैं। इस मौके पर मैंने गीत लिखा है, जिसे सुर दिया है इंद्रनील सेन ने। इस गीत में मुख्यमंत्री ने अपनी महत्वाकांक्षी जल धरो, जल भरो परियोजना का भी जिक्र किया है। इसके अलावा गीत में जल संरक्षण के बिना धरती को होने वाले नुकसान का उल्लेख किया है।
उल्लेखनीय है कि जल धरो जल भरो परियोजना के तहत राज्य में करीब दो लाख नए तालाबों की खुदाई हुई है, जबकि पांच लाख तालाबों का नवीकरण व मरम्मत कर उन्हें जल संरक्षण के लायक बनाया गया है। इसमें वर्षा जल संचयन के साथ-साथ मछली पालन भी होता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि बारिश के समय जल संचयन के कारण राज्य के विस्तृत इलाके में बाढ़ की परिस्थिति भी टल जाती है और एकत्रित हुए पानी की मदद से सिंचाई हो जाती है।
पानी की हर बूंद है कीमती
देश भर में जारी जल संकट को देखते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यवासियों से जल संरक्षण के लिए जागरूक होने की अपील की। जल संरक्षण की अहमियत को बताने के लिए ममता ने महानगर में पदयात्रा की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि देश के ज्यादातर हिस्सों में जल संकट गंभीर समस्या बनी हुई है और अगर आप चाहते हैं कि ऐसी स्थिति कोलकाता व राज्य में पैदा न हो तो जल संरक्षण पर जोर दें, ताकि भविष्य में किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े।
उन्होंने आगे कहा कि बंगाल में सरकार बनने के बाद विगत आठ सालों में तीन लाख से अधिक तालाब खोदे गए हैं। इसके कारण वर्षा जल संचयन संभव हो सका है और बाढ़ के प्रकोप को रोका जा सका है। मुख्यमंत्री ने कहा, हमने जल संरक्षण के लिए डैम बनाए लेकिन डीवीसी द्वारा जारी पानी के कारण हर साल हमें बाढ़ का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा सिंचाई नहरों की सफाई के साथ ही कम वर्षा वाले क्षेत्रों जैसे कि बीरभूम, बांकुड़ा और पुरुलिया में वर्षा जल संरक्षण के दिशा में हमने काम किया और नतीजा यह है कि काफी हद तक हम सफल भी हुए हैं। उन्होंने आगे कहा कि अक्सर हम पीने के पानी को बर्बाद करते हैं, जिससे बचने की जरूरत है। बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके पास पानी की एक बूंद भी नहीं है। इसलिए हर बूंद कीमती है। हमें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पानी का उपयोग विवेकपूर्ण तरीके से करना चाहिए। जल के साथ उन्होंने बिजली बचाने पर भी जोर दिया।
उल्लेखनीय है कि ममता बनर्जी लंबे समय से पानी और पर्यावरण की दिशा में कई पहल कर चुकी हैं। इस समय ममता सरकार जल संरक्षण के लिए जल धरो, जल भरो योजना चला रही हैं। बता दें कि चेन्नई में भीषण जल संकट को देखकर ममता बनर्जी भी सतर्क हो गई हैं। चेन्नई जैसा कोलकाता का हाल न हो जाए इस लिए मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को पानी बचाने का संदेश देने के लिए पदयात्रा की। पांच किमी की जल संरक्षण पदयात्रा में राज्य के मंत्री, विधायक, सांसद और साहित्य जगत के मशहूर हस्तियों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इसके अलावा स्कूली छात्र, युवा और एनजीओ से जुड़े हुए लोग भी शामिल हुए।
ममता की फिसली जुबान
वर्ष 1913 से राज्य सरकार पर्यावरण को संरक्षित करने का काम कर रही है वहीं संयुक्त राष्ट्र ने इस कार्य को 1915 से शुरू किया है। दरअसल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भूलवश 2013 की जगह 1913 कह दिय था। इसके बाद उन्होंने भूल सुधार करते हुए कहा कि हमारी सरकार इस दिशा में विगत आठ वर्षो से काम कर रही है।