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दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसद मरीज भारत में

दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसद मरीज भारत में हैं। दुनिया भर में मिर्गी के सात करोड़ मरीज हैं और उनमें से एक करोड़ 20 लाख मरीज भारत में हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 03:49 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 03:49 PM (IST)
दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसद मरीज भारत में
दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसद मरीज भारत में

कोलकाता, जागरण संवाददाता। दुनिया भर में मिर्गी के जितने मरीज हैं उनमें से करीब 16 फीसद मरीज भारत में हैं। दुनिया भर में मिर्गी के सात करोड़ मरीज हैं और उनमें से एक करोड़ 20 लाख मरीज भारत में हैं। भारत में मिर्गी के मरीजों की इतनी बड़ी संख्या होने के बावजूद मिर्गी के मरीजों का कोई उपचार नहीं होता है। उल्टे उन्हें सामाजिक लांक्षण एवं भेदभाव का सामना करना पड़ा है।

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यह बात यहां गत दिनों राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर आयोजित परिचर्चा में विशेषज्ञों ने कही। डॉ. सुभाशीष मैत्र, नयूरोलोजिस्ट, अपोलो क्लिनिक, कोलकाता ने कहा कि दुनिया भर में मिर्गी का एक सामान्य कारण सिर में चोट लगना है जबकि भारत में मिर्गी का एक प्रमुख कारण न्यूरोकाइस्टिसरोसिस (तंत्रिका तंत्र का परजीवी रोग) है।

यह भारतीय उपमहाद्वीप में मिर्गी के दौरों के करीब 30 फीसद विकारों के लिए जिम्मेदार है। मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिस पर नियंत्रण पाया जा सकता है लेकिन भारत में मिर्गी के मरीजों को गंभीर रूप से सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है और इस कारण मरीज के ज्यादातर मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं। माइग्रेन, स्ट्रोक और अल्जाइमर के बाद सबसे आम न्यूरोलॉजिकल रोगों में से एक है। डॉ. अरिंदम दास, न्यूरोलोजिस्ट, केयर एवं क्योर मेडिकल काम्प्लेक्स, कोलकाता ने कहा कि आज मिर्गी के उपचार एवं जांच की सुविधाएं उपलब्ध है लेकिन इसके बावजूद मिर्गी के अनेक मामलों का पता ही नहीं चलता, या उनकी गलत जांच होती है या ऐसे मरीज अप्रशिक्षित चिकित्सक के पास इलाज के लिए पहुंचते हैं।

ये चिकित्सक वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति के होते हैं। इस बीमारी को लेकर जो मौजूदा स्थिति है उसके लिए प्रचलित मिथक, सांस्कृतिक मान्यताएं और जागरूकता की कमी मुख्य तौर पर जिम्मेदार है। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ती जागरूकता के साथ, शहरी इलाकों में इलाज के लिए चिकित्सकों के पास पहुंचने वाले मरीजों का प्रतिशत करीब 60 फीसद है लेकिन ग्रामीण इलाकों में स्थिति बहुत ही निराशाजनक है और मिर्गी का दौरा पड़ने के बाद केवल दस प्रतिशत मरीज चिकित्सकीय सहायता के लिए पहुंचते हैं।

ग्रामीण इलाकों में मिर्गी का दौरा विशेष लक्षण है जिसमें हाथ और पैरों में कंपन होती है और गांव के लोग मिर्गी का दौरा पड़ने पर समझ लेते हैं कि रोगी के शरीर पर किसी बुरी आत्मा अथवा भूत ने कब्जा कर लिया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि 15 से 50 साल के लोगों में मिर्गी का सबसे आम कारण न्यूरोसाइटिस्टेरोसिस है। यह अक्सर संक्रमित पोर्क या बिना धोयी गई भूमिगत सब्जियों के खाने कारण होती है। मिर्गी के दो प्रकार होते हैं। सबसे आम प्रकार की मिर्गी कम उम्र में होती है और यह आनुवांशिक कारणों से होती है। दूसरे प्रकार की मिर्गी अचानक होती है। हालांकि इसका पूरी तरह से इलाज नहीं किया जा सकता है लेकिन मधुमेह और उच्च रक्तचाप की तरह इसका समुचित प्रबंधन किया जा सकता है। ग्रामीण इलाकों में मिर्गी का दौरा पड़ने के बाद केवल दस फीसद मरीज चिकित्सकीय सहायता के लिए पहुंचते हैं। 


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