कम्युनिस्ट आंदोलन के अगुवा थे सुकुमार
संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : दिवंगत दिग्गज कम्युनिस्ट नेता सुकुमार सेनगुप्ता व्यक्ति नहीं बल्कि अपने आप
संवाद सूत्र, मेदिनीपुर : दिवंगत दिग्गज कम्युनिस्ट नेता सुकुमार सेनगुप्ता व्यक्ति नहीं बल्कि अपने आप में संगठन थे। स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका के बावजूद कम्युनिस्ट आंदोलन से विरत नहीं हुए। रविवार को पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत मेदिनीपुर के विद्यासागर हॉल में आयोजित 13वें सुकुमार सेनगुप्ता स्मृति व्याख्यान माला में बोलते हुए कम्युनिस्ट नेताओं ने यह बात कही।
सभा में वक्तव्य देने वालों में माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य श्रीजीत भट्टाचार्य, दीपक सरकार, तरुण राय आदि ने सेनगुप्ता को महान नेता बताया। उन्हें याद करते हुए नेताओं ने कहा कि पिता की नौकरी के सिलसिले में स्व. सेनगुप्ता का जन्म यूं तो उत्तर प्रदेश में हुआ था, लेकिन बचपन में ही वे मेदिनीपुर आ गए थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनका सक्रिय योगदान रहा। युवावस्था का अधिकांश समय उन्होंने देश के विभिन्न भागों में अवस्थित जेलों में बिताया, लेकिन इसके बावजूद वे कम्युनिस्ट आंदोलन से दूर नहीं हुए। वे अविभाजित मेदिनीपुर जिले में कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव रहे। साठ के दशक में भाकपा का विभाजन होने के बाद वे माकपा में चले आए और 1993 तक इसके जिला सचिव रहे। बाद में शारीरिक रोगों के चलते खुद ही पद से हट गए। उनका जीवन हमेशा प्रेरणादायी रहेगा।