रेलवे ने बढ़ाई ईएमयू ट्रेनों में सीटों की संख्या
'एक लोकल, हजार मुसाफिर'। ऐसे में ट्रेन में बैठने के लिए
तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : 'एक लोकल, हजार मुसाफिर'। ऐसे में ट्रेन में बैठने के लिए यात्रियों के बीच मारामारी व अफरा-तफरी मचना स्वाभाविक ही है, लेकिन यात्रियों की इस समस्या को देखते हुए दक्षिण पूर्व रेलवे प्रशासन ने महत्वपूर्ण कदम उठाया है। जिससे समस्या का आमूल निस्तारण भले ही संभव न हो, लेकिन मुसाफिरों के लिए कुछ राहत की उम्मीद तो की ही जा सकती है।
हम बात कर रहे हैं दक्षिण पूर्व रेलवे की उपनगरीय रेल सेवा की। महकमे के सभी लोकल ट्रेनों में 12 कार रैक जोड़ने के फैसले से यह संभव हो पाया है। पहली जनवरी से यह व्यवस्था लागू हो गई है। जिसका असर अगले कुछ दिनों में सामने आने की संभावना है।
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उपनगरीय स्टेशनों की लाइफ लाइन है ईएमयू लोकल ट्रेनें
देश के विभिन्न महानगरों की तरह ही कोलकाता के आसपास बसे उपनगरों के लिए भी ईएमयू लोकल ट्रेनें जीवन रेखा का कार्य करती हैं। किसी भी परिस्थिति में लोकल ट्रेनों के रुकने का मतलब होता है आम ¨जदगी का थम सा जाना, क्योंकि महानगर कोलकाता से आस-पास बसे शहरों व गांवों के लोगों को लाने-ले जाने का कार्य ये लोकल ट्रेनें करती हैं। मेदिनीपुर-खड़गपुर-हावड़ा संभाग में औसतन दो सौ लोकल ट्रेनें चलती हैं। पहले अधिकांश 12 कार रैक वाली ट्रेन के 9 डिब्बों में यात्रियों के बैठने की सुविधा उपलब्ध होती थी। इस परिस्थिति में 918 यात्री सीट पर बैठ कर सफर कर पाते थे, लेकिन सभी लोकल ट्रेनों में 12 कार रैक जुड़ने से अब 1240 यात्री बैठ कर सफर कर सकेंगे। इस तरह पहले के बनिस्बत लोकल ट्रेनों में 322 से अधिक यात्रियों के बैठने की सुविधा होगी।
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व्यस्ततम संभाग है हावड़ा-खड़गपुर रेल खंड
रेल महकमे के इस कदम के बावजूद समस्या का पूरी तरह से निस्तारण संभव नजर नहीं आता, क्योंकि हावड़ा-खड़गपुर संभाग काफी व्यस्ततम और भीड़भाड़ वाला रेल खंड माना जाता है। प्रतिदिन हजारों की संख्या में रेल यात्री इन लोकल ट्रेनों में सफर करते हैं। जहां रेलवे स्टेशन नहीं है उन स्थानों के लोग भी आवागमन के लिए लोकल ट्रेनों पर ही निर्भर है।
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ईएमयू सेवा में 12 कार रैक जोड़ दिया गया है। जिससे अधिक यात्री ट्रेनों में बैठ सकेंगे। इससे हावड़ा-खड़गपुर-मेदिनीपुर सेक्शन के यात्रियों को काफी सुविधा होगी। कुलदीप तिवारी, वरिष्ठ मंडलीय वाणिज्य प्रबंधक, खड़गपुर रेल मंडल