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समृद्ध है ईएफआर प्रथम बटालियन की शक्ति आराधना

प. मेदिनीपुर जिला अंतर्गत खड़गपुर-1 प्रखंड स्थित ईस्टर्न फ्रंटियर राय

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 05:51 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 05:51 PM (IST)
समृद्ध है ईएफआर प्रथम बटालियन की शक्ति आराधना
समृद्ध है ईएफआर प्रथम बटालियन की शक्ति आराधना

सुरेंद्र प्रसाद, खड़गपुर : प. मेदिनीपुर जिला अंतर्गत खड़गपुर-1 प्रखंड स्थित ईस्टर्न फ्रंटियर रायफल्स (ईएफआर) का नाम लेते ही जेहन में अ‌र्द्धसैनिक बलों के उन जवानों की तस्वीरें आ जाती हैं, जो अपनी वीरता, चपलता एवं चुस्ती-फुर्ती के मामले में एक अलग ही स्थान रखते हैं। जिस प्रकार ईएफआर का समृद्ध इतिहास है, उसी प्रकार ईएफआर द्वारा नवरात्रि के अवसर पर शक्ति आराधना का इतिहास भी समृद्ध माना जाता है। ईएफआर प्रथम बटालियन द्वारा आयोजित देवी की आराधना का इतिहास भी कम रोचक नहीं है।

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मंदिर स्थापना का इतिहास : आजादी के पूर्व ईएफआर को ढाका मिलिट्री पुलिस (डीएमपी) के नाम से जाना जाता था। जहां डीएमपी छावनी में 1907 से मंदिर की स्थापना कर देवी के शक्ति रूप की आराधना जवान करते आ रहे थे। आजादी के बाद डीएमपी को तीन भागों में बांट दिया गया, जिनमें से एक भाग को ईस्टर्न फ्रंटियर रायफल्स (ईएफआर) नाम दिया गया। इंएफआर छावनी की स्थापना 1951 में सलुवा में की गई। सलुवा छावनी में ही स्थित कृष्ण मंदिर में जवानों ने देवी की आराधना भी शुरू कर दी। कुछ वर्षों बाद तत्कालीन कमांडेंट एमएस थापा के प्रयास से वर्तमान स्थान पर देवी के लिए मंदिर की स्थापना की गई।

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देवी के आदेश पर नहीं होती है मूर्ति पूजा

इएफआर प्रथम बटालियन के विनोद कुमार क्षेत्री समेत अन्य जवानों का दावा है कि देवी के आदेश पर यहां मूर्ति के स्थान पर छवि की पूजा की जाती है। जब यहां देवी की मंदिर की स्थापना की गई तो, एक रात देवी मंदिर के तत्कालीन पुरोहित रामकृष्ण उपाध्याय के स्वप्न में आईं और उनसे कहा कि अगर मंदिर में मेरी मूर्ति की स्थापना करना चाहते हो, तो नरबलि देनी पड़ेगी और अगर नरबलि से बचना चाहते हो तो मूर्ति के स्थान पर मंदिर में मेरी छवि रखकर पूजा-अर्चना करो। इसी में सभी का कल्याण होगा। कहते हैं कि देवी के आदेश पर तब से आज तक मंदिर में सिर्फ उनकी छवि की ही पूजा की जाती है। नवरात्र के दौरान घट की स्थापना कर देवी की आराधना करते हैं। वर्तमान में रामकृष्ण उपाध्याय के वंशज गणेश उपाध्याय मंदिर के पुरोहित हैं। नवरात्र के दौरान यहां उत्सवी माहौल छाया रहता है।

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फोटो 03 :- माता की महिमा निराली है। यहां सच्चे मन से पूजा करने पर माता प्रसन्न होती हैं और भक्त की मनोकामना अवश्य पूर्ण करती हैं। सलुवा के लोगों में इस मंदिर के प्रति अगाध श्रद्धा है। गणेश उपाध्याय, पुरोहित, ईएफआर प्रथम बटालियन मंदिर

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फोटो 04 :- सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने पर देवी मनोकामना अवश्य पूरा करती हैं। नवरात्र में यहां विशेष आयोजन होता है, जिसमें प्रथम बटालियन परिवार समेत पूरे भक्ति भाव से सम्मिलित होता है। विनोद कुमार क्षेत्री, ईएफआर जवान, ईएफआर प्रथम बटालियन

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फोटो 05 :- संभवत: पूरे बंगाल में यहां आनोखी पूजा होती है, जहां मूर्ति के स्थान पर देवी की छवि की पूजा-अर्चना की जाती है। काफी जागरूक मंदिर है। सच्चे मन से यहां आने पर देवी का आर्शीवाद अवश्य प्राप्त होता है। रोशन लामा, भक्त, सलुवा छावनी


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