आधार में अटकी सौरव की पहचान
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तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : सशरीर उपस्थिति के बावजूद यदि किसी की पहचान पर सवालिया निशान लगाया जाए तो इसे विडंबना नहीं तो और क्या कहेंगे। पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत खड़गपुर के सौरव त्रिपाठी की हालत कुछ ऐसी ही है। आधार कार्ड में गड़बड़ी के चलते सौरव का पूरा परिवार पिछले नौ महीनों से भयावह त्रासदी व दु¨ष्चता से गुजर रहा है।
शहर के साउथ साइड निवासी सौरव मैकेनिकल इंजीनियर हैं। 2015 में उसने अपने रेलवे गार्ड पिता और गृहिणी मां के साथ आधार कार्ड के लिए कॉलोनी स्थित दफ्तर में आवेदन किया था। इसके बदले उसे क्रमांक मिल गया। जिसके बाद उसका सामान्य जीवन चलता रहा। लेकिन समस्या तब आई जब 2017 में नई नौकरी ज्वाइन करने के बाद उसे एक विशेष बहुराष्ट्रीय बैंक में खाता खुलवाने की जरूरत पड़ी। आधार पहचान के लिए अंगुली रखते ही बॉयोमीट्रिक मशीन पर किसी और की पहचान उजागर होने लगी। दरअसल इस नंबर पर शहर के ही एक अन्य रेलवे कर्मचारी की पहचान मिल गई, जो आधार बनवाते समय कतार में उसके पीछे खड़ा था। तभी से उसके जीवन में दुश्वारियां बढ़ने लगी। आधार के बगैर उसका सारा कामकाज ठप पड़ गया। नौबत यहां तक आ गई कि उच्च शिक्षित होने के बावजूद पिछले नौ महीने से केवल आधार नंबर की वजह से वह ¨ककर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति में बगैर कामकाज के घर पर बैठा है।
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दु¨ष्चता के दुष्चक्र में पूरा परिवार
सौरव के चलते उसका पूरा परिवार भयावह दु¨ष्चता के भंवर में फंसा नजर आ रहा है। सौरव ने कहा कि उसके रेलवे गार्ड पिता जल्द रिटायर्ड होने वाले हैं। इसके बाद उनका समूचा परिवार ओड़िशा स्थित पैतृक गांव लौट जाएगा। ¨चता का कारण यह है कि फिलहाल आधार से जुड़ा उनका जो मामला क्षेत्रीय कार्यालय रांची के अधीन है। ओड़िशा जाने के बाद वह आंध्र प्रदेश के अंतर्गत चला जाएगा। त्रिपाठी परिवार को डर है कि इसके बाद उनका यह मामला और भी जटिल हो जाएगा। इस ¨चता में सौरव के माता-पिता की नींद हराम हो चुकी है और वे अनेक बीमारियों की गिरफ्त में आ चुके हैं।
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शिकायत दर शिकायत
अपनी समस्या के निदान के लिए सौरव व उसके परिवार ने अब तक पांच बार भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण में आवेदन किया, लेकिन हर तरफ से उसे सिर्फ प्राप्ति की रसीद और आश्वासन ही मिला है। इस बाबत उन्होंने रांची स्थित क्षेत्रीय कार्यालय से भी संपर्क किया, लेकिन कोई सुफल नहीं मिल सका। अंगुली रखने पर बॉयोमीट्रिक मशीन पर उभरने वाले संबंधित व्यक्ति से लिखित सहमति पत्र भी कार्यालय को भेजा गया, जिससे उसकी सटीक पहचान निर्धारित कर आधार नंबर का आवंटन हो सके, लेकिन अब तक पीड़ित परिवार को राहत नहीं मिल पाई है। मामला दिनोंदिन उलझता जा रहा है।
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और भी हैं पीड़ित
आधार कार्ड न मिलने से हो रही परेशानी की पीड़ा भोगने वालों में केवल सौरव ही नहीं है। सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंच चुके रेलवे विद्युत विभाग के एक अन्य कर्मचारी सहदेव माईती ने बताया कि वे पूर्व मेदिनीपुर जिला अंतर्गत पांशुकड़ा के निवासी हैं। उन्हें भी अब तक आधार नहीं मिल पाया है। इसके चलते उनके पैन कार्ड में कायम स्पे¨लग की भूल सुधार नहीं हो पा रही है। ऐसे में रिटायर के बाद मिलने वाली सारी सुख-सुविधाओं के लटक जाने की दु¨ष्चता से वे परेशान हैं।
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आधार से संबंधित शिकायतों का मामला उनकी जानकारी में नहीं है। संज्ञान में आने पर मामले की खोज-खबर लेकर उचित कार्रवाई की जाएगी। सुदीप सरकार, एसडीओ, खड़गपुर