पूजा में पैसा न होने से डिमडिमा चाय बागान के श्रमिक हताश
- बागान बंद होने के चलते नहीं हो पा रहा रोजगार, बैंक से पैसा निकालकर जीवन काटने को मज
- बागान बंद होने के चलते नहीं हो पा रहा रोजगार, बैंक से पैसा निकालकर जीवन काटने को मजबूर
संवाद सूत्र, वीरपाड़ा: दुर्गापूजा में अब बस 12 दिन शेष बचे हैं। कहीं कमेटी बन रही है तो कहीं बाजारों में खरीदारी की भीड़ लगी हुई है। लेकिन इस पूजा में पैसा कहां से आएगा, यही डुवार्स के डंकंस ग्रुप के डिमडिमा चाय बागान के श्रमिकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। श्रमिकों का कहना है कि बागान बंद होने के कारण ही आर्थिक समस्या हो रही है। डिमडिमा चाय बागान में भी दुर्गापूजा का आयोजन किया जाता है। इस पूजा के लिए कमेटी बनाई गई है। इसका महासचिव दिवाकर झा को बनाया गया है।
श्रमिक नेता तथा पूजा कमेटी के सदस्य जनक सिंह ने कहा कि 34 महीने बागान बंद होने के बाद गत 9 मार्च को बागान खुला था। श्रमिकों ने मन लगाकर काम शुरू किया था, लेकिन फिर तीन महीने बाद बागान बंद हो गया। मैनेजर समेत सभी अधिकारी बागान छोड़कर चले गए। इधर, बागान बंद होने के बावजूद कमेटी बनाकर कच्ची पत्तियां बिक्री करके श्रमिकों को कुछ आर्थिक मदद की गई। बागान के 32 चौकीदार को काम के आधार पर कुछ पैसा दिया जाता है। लेकिन उनलोगों को डर है कि मुख्य मौसम में ही अगर चाय पत्ती नहीं होगी तो श्रमिकों का परिवार कैसे चलेगा। डंकंस ग्रुप के खुले दूसरे चाय बागान के श्रमिकों को बोनस मिलेगा, लेकिन डामडिम चाय बागान के श्रमिक बोनस से भी वंचित रहेंगे।
डिमडिमा चाय बागान के बड़े बाबू सिद्धार्थ सान्याल ने कहा कि उनलोगों की हालत बहुत खराब है। बागान बंद होने के चलते वेतन नहीं मिल रहा है। बैंक में जमा कुछ पैसे निकालकर ही किसी तरह जीवन काटने को मजबूर हैं। बागान में दुर्गापूजा व कालीपूजा का आयोजन किया जाता है। किसी तरह चंदा एकत्रित कर पूजा करते हैं। अब उनलोगों के लिए भगवान ही एकमात्र भरोसा है।