स्वतंत्रता सेनानी शहीद दुर्गा मल्ल को याद कर मनाया बलिदान दिवस
संवाद सूत्र चामुर्चीआजाद हिंद फौज के प्रथम गोरखा शहीद मेजर दुर्गा मल्ल जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता क
संवाद सूत्र, चामुर्ची:आजाद हिंद फौज के प्रथम गोरखा शहीद मेजर दुर्गा मल्ल जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। मंगलवार स्वतंत्रता सेनानी सहित दुर्गा मल्ल के सहादत को स्मरण करते हुए हैमिल्टनगंज स्थित शहीद दुर्गा मल्ल की विशालकाय प्रतिमा में आज बलिदान दिवस का कार्यक्रम भारतीय गोरखा परिसंघ डुआर्स कमेटी के द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कालचीनी ब्लॉक के समाजसेवी एवं ब्लॉक तृणमूल काग्रेस पार्टी के चेयरमैन अरुणा परिहार समाजसेवी एवं तृणमूल काग्रेस जिला कोर कमेटी के सदस्य पासंग लामा, डुआर्स नेपाली साहित्य विकास समिति के अध्यक्ष सितम मोक्तन, महासचिव रॉबिन खवास, सुखबीर सुब्बा, भारतीय गोरखा परिसंघ डुआर्स समिति के अध्यक्ष अजीत पराजुली, सचिन लक्पा लामा, आश बहादुर लिंबू, ललित न्यासुर सहित कई गणमान्य व्यक्ति डुआर्स भर से उपस्थित हुए थे। कार्यक्रम के प्रथम चरण में शहीद दुर्गा मल्ल के प्रतिमा में माल्यार्पण करते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। जहा पर शहीद दुर्गा मल्ल की प्रतिमा में सभी ने श्रद्धाजलि देते हुए नमन किया। दुर्गा मल्ल की प्रतिमा से कुछ दूर ही समाजसेवी पासंग लामा ने शहीद दुर्गा मल्ल क स्मरण में स्मारक भवन हेतु जमीन दान भी की। कार्यक्रम के दूसरे चरण में विभिन्न वक्ताओं द्वारा शहीद दुर्गा मल्ल की देश के प्रति सहादत एवं उनके योगदान बारे में अतिथियों ने अपना वक्तव्य रखा। इस दौरान कुछ बच्चों ने सास्कृतिक कार्यक्रम कविता पाठ भी किया।उल्लेखनीय है हैमिल्टनगंज में 2010 में भारतीय गोरखा परिसंघ की पहल से शहीद दुर्गा मल्ल की प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन राज्यसभा सासद अमर सिंह एवं जयप्रदा द्वारा किया गया था। शहीद दुर्गा मल्ल की प्रतिमा भारत के संसद भवन के परिसर में भी स्थापित किया गया है। शहीद दुर्गामल्ल का जन्म देहरादून के डोईवाला ग्राम में हुआ था। उनके पिता गंगाराम बाला छेत्री थे। 1931 में 18 वर्ष के उम्र में दुर्गा मल्ल गोरखा राइफल में शामिल हुए थे। 1942 में आजाद हिंद फौज के गठन में दुर्गा मल्ल का काफी सराहनीय भूमिका थी। दुर्गा मल्ल को आजाद हिंद फौज की गुप्तचर शाखा महत्वपूर्ण कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। 27 मार्च 1944 में शत्रु सेना ने आजाद हिंद फौज के बहादुर सैनिक को कोहिमा में गिरफ्तार किया था। उनके ऊपर के मुकदमे चलाए गए । एवं कई यातनाएं ब्रिटिश हुकूमत ने दी थी। 15 अगस्त 1944 को दुर्गा मल्ल को लाल किले के सेंट्रल जेल में लाया गया। जहा पर उन्हें 10 दिन बाद 25 अगस्त 1944 को ब्रिटिश सरकार ने फासी के फंदे पर झूला दिया था। आज आजाद हिंद फौज के स्वाधीनता सेनानी दुर्गा मल्ल के शहादत को याद करते हुए प्रतिवर्ष 25 अगस्त को बलिदान दिवस का कार्यक्रम मनाया जाता है।