शिक्षण समस्या मिटाने के लिए स्कूलों को दिए गए करोड़ों रुपये
- उत्तर बंगाल के छात्रों को दूसरे राज्यों में पलायन से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे:
- उत्तर बंगाल के छात्रों को दूसरे राज्यों में पलायन से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे: रवींद्रनाथ घोष
जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: राज्य में आइएएस व आइपीएस की परीक्षा पास करने वालों की संख्या काफी कम है। नवान्न व किसी बड़े सरकारी संस्थान में राज्य के छात्रों को कम देखा जाता है। 60 फीसद से अधिक अधिकारी बनकर दूसरे राज्य से ही आते हैं। इससे स्वयं को भी शर्म महसूस होता है। यहां विभिन्न स्कूल, कॉलेज व शिक्षण संस्थान में पूछने पर भी अधिकांश छात्र डॉक्टर, इंजीनियर व शिक्षक बनने की इच्छा प्रकट करते हैं। उक्त बातें उत्तर बंगाल विकास मंत्री रवींद्रनाथ घोष ने आनंदचंद्र बीएड कॉलेज के डायमंड जुबली पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान कहा।
उन्होंने कहा कि राज्य के कई प्रतिभाशाली छात्र उच्च शिक्षा के लिए दूसरे राज्य चले जाते हैं। लेकिन वहां से पास करने के बाद जब जांच की जाती है तो अधिकांश प्रमाण पत्र जाली निकलता है। पिछले दो वर्षो से माध्यमिक व उच्च माध्यमिक परीक्षा के प्रथम दस की सूची में उत्तर बंगाल से ही अधिकांश छात्रों का नाम आया है, लेकिन इसके बावजूद छात्र पढ़ाई के लिए नरेंद्रपुर, प्रेसिडेंसी व यादवपुर में अपना नामांकन करा रहे हैं। शिक्षण समस्या मिटाने के उत्तर बंगाल के विभिन्न स्कूलों को करोड़ों रुपये दिए जा रहे हैं। शिक्षा के हर बुनियादी सुविधाओं को ठिक कर दिया जाए तो उत्तर बंगाल के छात्रों को दक्षिण बंगाल या फिर दूसरे राज्यों में पढ़ाई के लिए नहीं जाना होगा। उन्होंने आनंदचंद्र बीएड कॉलेज को राज्य सरकार से बात करने के कहा है। अगर सरकार से अनुमति मिल जाती है तो बीएड कॉलेज को सरकारी बुनियादी सुविधा दी जाएगी।