वीरपाड़ा में कमजोर ब्रिज को ले लोगों में दहशत
- 5-6 वर्ष पहले ही भारी वाहनों पर लगाई जा चुकी है रोक - दो वर्ष के भीतर नए ब्रिज निर्मा
- 5-6 वर्ष पहले ही भारी वाहनों पर लगाई जा चुकी है रोक
- दो वर्ष के भीतर नए ब्रिज निर्माण करने की योजना: इंजीनियर
संवाद सूत्र, वीरपाड़ा: लंकापाड़ा रास्ते में ब्रिज की अवस्था काफी जर्जर व बदहाल है। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इस कारण स्थानीय लोगों व ब्रिज से आवाजाही करने वाले वाहन चालकों व राहगीरों में भय का माहौल बना हुआ है।
वीरपाड़ा से पड़ोसी देश गोमटू भूटान, भूटान डोलोमाइट माइनस व नौ चाय बागान समेत तीन वन बस्ती इलाकों में आवाजाही करने का एकमात्र यही रास्ता है। इसके अलावा इसी ब्रिज से वीरपाड़ा अस्पताल, कॉलेज समेत चार हाईस्कूल के छात्र-छात्राएं आवागमन करते हैं। वर्तमान समय में ब्रिज की हालत जर्जर बनी हुई है। अगर ब्रिज टूटा तो उक्त सभी जगहों से वीरपाड़ा शहर का संपर्क बिल्कुल टूट जाएगा। इसी रास्ते से प्रतिदिन हजारों वाहन आवाजाही करती है। काफी दिन पहले ही इस ब्रिज से भारी वाहनों के आवाजाही पर रोक लगा दी गई थी। इसके लिए ब्रिज के शुरूआत में ही एक नोटिस बोर्ड भी लगाया गया है। लेकिन इसके बावजूद वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। प्रशासन के आंख में धूल झोंककर डोलोमाइट, सीमेंट, बालू-पत्थर से लदा ट्रक प्रतिदिन यातायात कर रहे हैं। लोगों में डर बना हुआ है कि कहीं सिलीगुड़ी के फांसीदेवा व कोलकाता के माझेरहाट ब्रिज हादसा न हो जाए।
समाजसेवी संजय सुरी ने कहा कि वह सिंहानिया चाय बागान में रहते हैं। करीब 5 से 6 वर्ष पहले प्रशासन की ओर से ब्रिज से भारी वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाकर नोटिस लगा दी गई थी। फिर भी लोग जान जोखिम में डालकर यातायात कर रहे हैं। अगर ब्रिज टूट जाता है तो आम लोगों को काफी परेशानी होगी। वहीं पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर विश्वनाथ हलदार ने कहा कि आगामी 2 साल के भीतर इस ब्रिज के स्थान पर नए ब्रिज का निर्माण होगा। फिलहाल वर्तमान समय में विभिन्न विभाग के अधिकारियों से बात कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।