रिक्शा चालक की बेटी एशियन गेम्स में सोना जीतने के करीब
- पैर में छह अंगुली खेल में सबसे बड़ी समस्या बनी - दांत में दर्द के बावजूद सभी को पीछे छोड
- पैर में छह अंगुली खेल में सबसे बड़ी समस्या बनी
- दांत में दर्द के बावजूद सभी को पीछे छोड़कर अब तक अव्वल जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: रिक्शा चालक की बेटी सपना बर्मन एशियन गेम्स में सोना जीतने के करीब है। सपना जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक के कलियागंज घोषापाड़ा की निवासी है। पिता पंचानन बर्मन पेशे से रिक्शा चालक हैं। लेकिन स्टॉक के चलते वर्ष 2013 से घर के बेड पर ही पड़े रहते हैं। मां बसना बर्मन चाय बागान की श्रमिक थी। एथलेटिक में जीत की ओर अग्रसर सपना की सबसे बड़ी समस्या उसके पैर में छह अंगुली का होना है। स्कूल शिक्षक विश्वजीत कर ने ही सपना को खेल के मैदान तक खींच लाया।
कुछ वर्ष पहले भी सपना के घर पर छत नहीं था। दो वक्त की रोटी के लिए पैसा नहीं था। पैर में छह अंगुली होने के चलते खेलने के लिए जूते भी नहीं मिल रहे थे। जूता पहनने पर भी दर्द महसूस करती थी। बड़ा भाई असित बर्मन व सपना ही घर चलाती है।
गत वर्ष सपना एशियन चैंपियनशिप में सात खेलों को मिलाकर खेले गए एथलेटिक में विजयी हुई थी। इधर एशियन गेम्स 2018 शुरू होने से पहले ही सपना के दांत में चोट लग गई थी। लेकिन उसी चोट के साथ सपना लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहीं है। पहले पायदान पर बरकरार रहते हुए सोना जीतने के करीब है।
19 दिसंबर 1996 में जन्में सपना 14 वर्ष के गु्रप स्तर में 9 वर्ष की आयु से ही खेलकूद करते आ रही है। राज्य के हाईजंप का रिकार्ड भी सपना के पास ही है। वर्ष 2014 एशियन गेम्स में सपना को पांचवा स्थान हासिल हुआ था। वर्ष 2017 में लंदन में आयोजित वर्ल्ड चैंपियनशिप में सपना ने 21वां स्थान हासिल किया था। 2017 में ही भूवनेश्वर में आयोजित एशियन ट्रैक एंड फिल्ड मीट में गोल्ड मेडल हासिल की थी।
पहले विश्वजीत कर ने सपना को खेल के मैदान तक लाया। फिर उत्तमेश्वर हाईस्कूल के शिक्षक विश्वजीत मजूमदार ने मार्गदर्शन किया। इसके बाद सुकांत सिन्हा ने सपना को प्रशिक्षण दिया। सपना की मां बसना बर्मन ने कहा कि उसकी बेटी केवल जलपाईगुड़ी व राज्य का नहीं बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रही है। काफी समस्याओं से लड़ते हुए सपना को खेल के प्रति अग्रसर करती रही। आज वे लोग काफी खुश हैं।