वन सहायक पद की नियुक्ति प्रक्रिया की हो जांच
- स्थानीय युवक कई बार जता चुके हैं विरोध भ्रष्टाचार का लगाया आरोप जागरण संवाददाता ज
- स्थानीय युवक कई बार जता चुके हैं विरोध, भ्रष्टाचार का लगाया आरोप
जागरण संवाददाता, जलपाईगुड़ी: राज्य सरकार ने वन विभाग के अस्थाई वन सहायकों पदों पर नियुक्ति की है। इसमें अनियमितता का आरोप लगाकर जंगली इलाकों से सटे युवकों ने कार्यालय में ताला जड़कर कई बार अपना रोष प्रकट कर चुके हैं। साथ ही राजनीतिक दलों ने भी नियुक्ति प्रक्रिया में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर जांच की मांग की है। इतना ही नहीं वन मंत्री रहे राजीव बनर्जी के भाजपा में जाने के बाद स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी की जांच का आश्वासन देने हुए पूर्व वन मंत्री को आड़े हाथों लिया था।
राज्य सरकार की ओर से गत 22 जुलाई 2020 को वन सहायक पदों की नियुक्ति के लिए नोटिफिकेशन जारी किया था। 2000 रिक्त पदों पर नियुक्ति की घोषणा की गई। 18 से 40 वर्ष तक के युवकोंको आवेदन के लिए कहा गया। फिर जलपाईगुड़ी के सीसीएफ (नॉर्थ) में हजारों के आवेदन जमा किए गए। अगस्त महीने से नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हुई लेकिन सभी को इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया। इसके बाद 23 दिसंबर 2020 को वन विभाग से एक निर्देश जारी किया गया कि वन सहायक पदों पर जिन लोगों की नियुक्ति हुई है, वे लोग वन्य प्राणियों के संघर्ष को रोकने, सोयल कजनरवेशन, इको टूरिज्म, फिल्ड सर्वे समेत विभिन्न अस्थाई पदों पर कार्य करेंगे। उनलोगों हर वर्ष अपनी नौकरी का नविनीकरण करना होगा।
गत 8 दिसंबर 2020 को गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान से सटे इलाकों में रहने वाले युवकों ने वन सहायक पद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर रेंज ऑफिस और पर्यटकों को भ्रमण के लिए अनुमति देने वाले कार्यालय में ताला जड़ दिया था। रामशाई इलाके के रहने वाले आलोक राय ने कहा कि काफी दिनों से वन वासियों के सुरक्षा को ध्यान में रखकर बिना स्वार्थ के सहयोग करते आ रहे हैं। उनलोगों ने वन सहायक पद के लिए इंटरव्यू भी दिया था। नौकरी नहीं मिली। लेकिन शहरी इलाकों से आए युवकों को नियुक्ति पत्र दे दिया गया। इस कारण आक्रोशित युवकों ने वन विभाग के कार्यालय में ताला जड़कर अपना विरोध प्रकट किया था।
दूसरी तरफ उत्तर बंगाल के वनपाल के सामने 113 दिनों से नौकरी की मांग को लेकर अरण्य बंधू धरना दे रहे हैं। संगठन के सचिव प्रदीप बनिक ने कहा कि वन सहायक पदों की नियुक्ति सटीक तरीके से नहीं हुई है। वे लोग भी वन विभाग के लिए काम करते आए हैं। परंतु उनलोगों को भी प्राथमिकता नहीं दी गई। संगठन के अध्यक्ष चंचल रॉय ने कहा कि उत्तर बंगाल में 141 अरण्य बंधू वर्ष 2013 से ही अस्थाई रूप से वन विभाग के लिए काम करते आ रहे हैं। उनलोगों को उम्मीद थी कि वन सहायक पदों की नौकरी मिलेगी, लेकिन नौकरी नहीं मिली। इस पर कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पिनाकी सेनगुप्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा वन सहायक नियुक्ति में सवाल उठाया गया है। पहले उनके पार्टी के लोग ही इसमें शामिल थे। इसलिये इसकी जांच होनी चाहिए।