श्रम अधिका दिलाने के लिए डायना चाय बागान में कार्यक्रम
संवाद सूत्र, नागराकाटा: उत्तर बंगाल वन जन श्रमजीवी मंच की ओर से आयोजित श्रम अधिकार अभियान के सातवें
संवाद सूत्र, नागराकाटा: उत्तर बंगाल वन जन श्रमजीवी मंच की ओर से आयोजित श्रम अधिकार अभियान के सातवें दिन की शुरुआत शनिवार को डायना चाय बागान से हुई। वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा पारित श्रम-विरोधी कानूनों के विरोध का विरोध करते हुए दाíजलिंग, तराई और डुआर्स में के गणतात्रिक व्यक्ती, संघ संस्था की प्रयास से जो कार्यक्रम पिछले 6 फरवरी से शुरू किया गया है । इस अभियान में केंद्र सरकार ने प्लाटेशन लेबर एक्ट 1951, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम 1948, कॉन्ट्रैक्ट मधुर नियंत्रण एवं निर्मूलन ऐन से 44 श्रम कानूनों को केंद्र सरकार द्वारा खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए, वनवासियों के अधिकारों और कृषि अधिनियम को रद्द करने की माग करते हुए नुक्कड़ सभा की गई। वन वस्ती के निवासी इस अभियान में वन अधिकार कानून सही रूप से कार्यान्वयन की माग करते हुए शामिल हुए हैं, जबकि डूआर्स में विभिन्न चाय बागानों के श्रमिक श्रम विरोधी कानूनों को रद्द करने की माग में शामिल हुए हैं। सरकारी संपत्तियों को निजीकरण करने कि केंद्र की रणनीति के खिलाफ इस अभियान विभिन्न क्षेत्र के युवा मध्य डुआर्स का भ्रमण समाप्त करने के बाद आज शनिवार को बानरहाट ब्लॉक स्थित डायना बागान से सातवें दिन शुरु किया गया था । यह अभियान आज सुबह देवपाड़ा, रेड बैंक, धलनीपुर, चेंगमारी, केरन, लुकसान, घटिया, ग्रासमोड भगतपुर, कुरती, जीती होप, हिला, नागराकाटा, खुनिया मोड़ होते हुए आज शाम को रंगों रवाना होगा । उत्तर बंगाल वन जन श्रम जीवी मंच के संयोजक लाल सिंह भुजेल और चाय बागान संग्राम समिति के सचिव समिक चक्रवर्ती ने कहा केंद्र में सत्तासीन भाजपा सरकार प्रतिदिन एक पर एक नीति परिवर्तन कर रही है जैसे कि श्रम कोड, श्रम कानून को परिवर्तन करते हुए कृषि कानून बिल्कुल आया है साथी 2006 वन अधिकार नियम को परिवर्तन कर वन बस्तियों में निवास करने वाले श्रमिक एवं दैनिक मजदूरी करने वाले लोगों के ऊपर घातक सिद्ध हो सकता है । इसलिए इन सभी विषय को साधारण लोगों तक पहुंचाने के लिए हम लोगों ने श्रमजीवी अधिकार अभियान आरंभ किया है । यह कार्यक्रम पिछले 6 फरवरी से अलीपुरद्वार जिले के कुमारग्राम ब्लाक से आरंभ किया गया था जो 14 फरवरी बगराकोट में पहुंचकर समाप्त होगा । यह कार्यक्रम का पहला चरण है । दूसरा चरण तराई में किया जाएगा जबकि तीसरा चरण दाíजलिंग कालिमपोंग में किया जाने कि बात बताया ।