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डीपीएल में 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मियों को वीआरएस

दुर्गापुर : राज्य सरकार ने विद्युत उत्पादन इकाई दुर्गापुर प्रोजेक्ट लिमिटेड (डीपीएल) को तीन भागों मे

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 09:08 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 09:08 PM (IST)
डीपीएल में 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मियों को वीआरएस
डीपीएल में 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मियों को वीआरएस

दुर्गापुर : राज्य सरकार ने विद्युत उत्पादन इकाई दुर्गापुर प्रोजेक्ट लिमिटेड (डीपीएल) को तीन भागों में बांटने के सरकार के निर्णय के बाद अब 50 वर्ष से अधिक के कर्मियों को वीआरएस लेने का नोटिस भी दिया गया है। इस नोटिस से वहां के कर्मियों में आक्रोश व्याप्त है। श्रमिक संगठनों ने भी वीआरएस का विरोध किया है। सोमवार को राज्य सरकार की ओर से डीपीएल में एक नोटिस भेजा गया है, जिसमें लिखा है कि जिन श्रमिकों का उम्र 50 वर्ष से अधिक है, वे लोग वीआरएस ले सकते है। इंटक संबद्ध डीपीएल वर्कर यूनियन के महासचिव उमापद दास ने कहा कि डीपीएल को तीन भागों में बांटने की मंजूरी केबिनेट से मिली है। अब वीआरएस की बात कही जा रही है। सरकार ने यह स्पष्ट नही किया है कि प्लांट का भविष्य क्या होगा?

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60 फीसद कर्मचारी हो जाएंगे रिटायर : प्लांट में स्थायी कर्मचारियों के संख्या 2729 है, जबकि ठेका श्रमिकों का संख्या 1500 है। 60 फीसद स्थायी कर्मियों का उम्र पचास वर्ष से अधिक है, ऐसे में वीआरएस लेने पर कर्मियों की संख्या 900 के करीब आ जाएगी। इतने श्रमिक कम हो जाने से कैसे प्लांट चलेगा। वहीं प्रबंधन श्रमिकों को अन्य जगह तबादले की भी साजिश कर रही है, जो ठीक नहीं है। हमलोग राज्य सरकार के इस नोटिस को नहीं मानते है। बिना श्रमिक संगठनों के साथ ऐसा निर्णय लेना श्रमिक हित में नहीं है। मालूम हो कि राज्य सरकार के अधीन स्वतंत्र संस्था डीपीएल की स्थापना वर्ष 1960 में हुई थी। जहां धीरे-धीरे आठ विद्युत उत्पादन की यूनिट हो गई। हालांकि पुरानी यूनिटों से विद्युत उत्पादन बंद हो गया था।

प्रत्येक दिन 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन : वर्तमान में सात एवं आठ नंबर यूनिट से प्रत्येक दिन 200-250 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। यहां की एक, दो और तीन नंबर यूनिट को बिक्री दिया गया है। जबकि चार, पांच व छह नंबर यूनिट को बिक्री करने की प्रक्रिया चल रही है। सात नंबर यूनिट की विद्युत उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट एवं आठ नंबर यूनिट की उत्पादन क्षमता 250 मेगावाट है। लेकिन इनसे वर्तमान में उतना उत्पादन नहीं हो पा रहा है। डीपीएल बनने के बाद से ही नुकसान में चल रहा था।

प्लांट को तीन हजार करोड़ का नुकसान

अब तक तकरीबन तीन हजार करोड़ का नुकसान डीपीएल को हुआ है। राज्य सरकार की ओर से डीपीएल को तीन भागों में बांटा जा रहा है। जिससे डीपीएल के पास अब केवल वाटर वर्कस का काम रह गया है। जबकि विद्युत उत्पादन का कार्य वेस्ट बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (डब्ल्यूबीपीडीसीएल) को दिया गया है। जबकि ट्रांसमिशन का कार्य वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिसिटी ट्रांशमिशन लिमिटेड (डब्ल्यूबीएसईटीएल) को दिया गया है। वहीं विद्युत डिस्ट्रीब्यूशन का काम वेस्ट बंगाल स्टेट इलेक्ट्रिकल डिस्ट्रीब्यूशन कॉरपोरेशन लिमिटेड (डब्ल्यूबीएसईडीसीएल) को दिया गया है। यानि ये संस्थाएं ही विद्युत उत्पादन कर बिजली को ग्रिड में भेजेगी एवं वहां से बिजली की आपूर्ति होगी।


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