पत्थरबाजों को परास्त करेगा यह विशेष MCV, सेना के जवानों का बनेगा सुरक्षा कवच
पीएमओ के निर्देश पर वैज्ञानिक पत्थरबाजों के मंसूबे को ध्वस्त करने के लिए सीएमईआरआइ दुर्गापुर में अत्याधुनिक तकनीक से लैस मॉब कंट्रोल व्हीकल बनाने में जुटे हैं।
दुर्गापुर, [हृदयानंद गिरि]। चीख-पुकार और शोर के बीच अफरातफरी में गिरते-भागते लोग। पथराव करती उपद्रवियों की भीड़ और उस पर काबू के लिए मशक्कत करते सुरक्षा जवान। ऐसे नजारे अक्सर जम्मू-कश्मीर में दिख जाते हैं। वहां उपद्रवी आए दिन भारतीय सेना के जवानों पर पथराव करते हैं। इसमें प्राय: जवान जख्मी भी होते है। कड़ी कार्रवाई से गुरेज के कारण इनको नियंत्रित करने में जवानों को दिक्कत होती है। पर, अब ऐसा नहीं होगा। इन पत्थरबाजों के मंसूबे अब तकनीक के जरिये ध्वस्त होंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय यांत्रिकी अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुर (सीएमईआरआइ) के वैज्ञानिकों ने इसका माकूल इंतजाम कर लिया है।
- पीएमओ के निर्देश पर सेना के लिए विशेष वाहन तैयार कर रहे सीएमईआरआइ दुर्गापुर के वैज्ञानिक
- नौ माह से चल रहा काम, सितंबर तक तैयार हो जाएगा अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह वाहन
- 170 डिग्री एरिया में कैमरे रखेंगे नजर, अंदर स्क्रीन पर देखी जा सकेंगी बाहर की हरकतें
- अंदर से कर सकेंगे जवान फायरिंग, भीड़ पर पानी फेंकने, आंसू गैस छोड़ने, आग बुझाने की भी व्यवस्था
- वाहन के सामने लगी दीवार मिनटों में उपद्रवियों को धकेल देगी पीछे
वैज्ञानिक अब ऐसा मॉब कंट्रोल व्हीकल (एमसीवी) बना रहे हैं जो अत्याधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसे न भीड़ पलट सकेगी, न इसमें आग लगेगी। पथराव से वाहन में बैठे जवान जख्मी भी नहीं होंगे। दरअसल यह वाहन अभेद्य दुर्ग की तरह होगा। वाहन के अंदर से ही कैमरे के माध्यम से उपद्रवियों को देख जवान उन पर कार्रवाई करेंगे। इसे बनाने में करीब नौ माह से वैज्ञानिक जुटे हैं। सितंबर तक यह बनकर तैयार हो जाएगा।
एमसीवी तैयार कर रही वैज्ञानिकों की टीम के एक सदस्य ने बताया कि इसकी रफ्तार 30-40 किमी प्रति घंटे तक होगी। आठ जवान इसमें आराम से बैठ सकेंगे। अगली सीट पर चालक के साथ ऑपरेशन कमांडर बैठेगा।
उच्च क्षमता के कैमरों से रखी जाएगी चप्पे-चप्पे पर नजर
सेना के लिए बन रहे इस हाईटेक वाहन में उच्च क्षमता के वाइड एंगल कैमरों का इस्तेमाल हो रहा है। ये 170 डिग्री क्षेत्र तक की जानकारी देंगे। कैमरों से मिले बाहर के दृश्य को अंदर बैठे जवान कंप्यूटर स्क्रीन पर देख सकेंगे। वीडियो ट्रांसमिशन सिस्टम के माध्यम से दूर कार्यालय में बैठे अधिकारी भी स्थिति पर पूरी तरह नजर रख उचित दिशा निर्देश जवानों को दे सकेंगे।
ऑटोमेटिक मल्टी बैरल लांचर छोड़ेगा भीड़ पर पानी और आंसू गैस
एक समय था जब सेना के वाहन से जरूरत पडऩे पर आंसू गैस मैनुअल तरीके से छोड़ी जाती थी। इस वाहन में लगे मल्टी बैरल लांचर के माध्यम भीड़ पर पानी व अश्रु गैस छोड़ी जा सकेगी। एक बटन दबाते ही पानी और आवश्यकता पडऩे पर आंसू गैस का प्रवाह शुरू हो जाएगा। गैस प्रवाह को किसी भी दिशा में घुमा भी सकेंगे। आग बुझाने के लिए फोम स्प्रे सिस्टम व पानी की व्यवस्था की गई है। एमसीवी के अंदर से जरूरत पर फायरिंग कर सकते हैं। जवानों को उसके लिए बाहर नहीं आना होगा।
भीड़ को पीछे धकेल देगी उच्च तकनीक से बनी लोहे की दीवार
एमसीवी को उच्च तकनीक से तैयार इस्पात से बनाया गया है। इस पर बम का असर नहीं होगा। इसमें लोहे की एक दीवार भी आगे लगाई गई है। अगर उग्र भीड़ वाहन के पास आती है तो यह दीवार भीड़ के सामने आ जाएगी। वाहन को आगे बढ़ाकर दीवार के माध्यम से भीड़ को धकेला जा सकेगा। यह दीवार 12 मीटर ऊंची एवं 24 मीटर चौड़ी होगी।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से एमसीवी तैयार करने का निर्देश मिला है। सीएमईआरआइ के वैज्ञानिक नौ माह से इस पर काम कर रहे हैं। सितंबर तक इसके तैयार होने की उम्मीद है। प्रो. डॉ. हरीश हिरानी, निदेशक, सीएमईआरआइ, दुर्गापुर