दस घंटा बाद पिता की मौत का पता चला मासूम गोलू को
दुर्गापुर : रविवार को गोलू के स्कूल में छुट्टी थी, वह घर में सो रहा था। तकरीबन चार बजे
दुर्गापुर : रविवार को गोलू के स्कूल में छुट्टी थी, वह घर में सो रहा था। तकरीबन चार बजे चाल धंसने की घटना पाण्डेश्वर के खुट्टाडीह कोलियरी में हुई। तकरीबन एक घंटा बाद यह खबर कोलियरी से बाहर निकली, उस समय गोलू एवं उसकी मां सोकर उठे थे। तभी घटना की जानकारी घर तक गई। लेकिन गोलू की मां को इसकी कोई भनक नहीं थी। इंटर में पढ़ने वाले गोलू (चंद्रशेखर गिरि के सबसे छोटे पुत्र) को लोगों ने सूचना दी कि उसके सिर से अब पिता का साया उठ गया है। लेकिन उसकी मां को इस बात की भनक भी नहीं लगी। लोगों ने गोलू को समझाया एवं कहा कि इसकी भनक मां को नहीं मिलनी चाहिए। बस गोलू की मां को इतना ही कहा गया कि खदान में दुर्घटना में गोलू के पिता जख्मी हुए है, उन्हें अस्पताल भेजा गया है। तब से मां बेचैन हो गई। लेकिन पिता के खोने के गम के बावजूद मां के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए गोलू भी मन में रोते हुए भी मां के सामने चेहरे पर आंसू नहीं लाया। वह भी मां को दिलासा देता रहा। वहीं गोलू के साथी एवं मुहल्ले के युवक भी दुख की इस घड़ी में गोलू का ढांढस बांधते रहें। गोलू भी घर के बाहर दोस्तों के साथ बैठकर मन में उदासी के साथ चूपचाप बैठा रहा। गोलू ने मन में मायूसी के साथ बस इतना कहा कि भैया लोग आएंगे तो मां को सारी बात बताई जाएगी। ईश्वर ने भी दुख के इस घड़ी में गोलू को हिम्मत दी। तकरीबन दो बजे घटना की जानकारी गोलू की मां को दी गई। जिसके कुछ देर बाद गोलू का मझला भैया अभिषेक कोलकाता से घर पहुंचे। चंद्रशेखर गिरि बिहार के सिवान जिलांतर्गत चैनपुर थाना के बावनडीह गांव के निवासी है। उनका बड़ा पुत्र आशुतोष दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रहा है एवं मझला पुत्र अभिषेक कोलकाता में स्नातक की पढ़ाई करता है। गोलू माता-पिता के साथ रहकर पाण्डेश्वर डीएवी में पढ़ाई करता है।
-------------------- इलाके की महिलाओं को भी घर जाने से रोका गया : चंद्रशेखर की मौत की खबर उनकी पत्नी को नहीं थी। लेकिन खदान में दुर्घटना में चंद्रशेखर समेत दो श्रमिकों की मौत की बात पूरे इलाके में आग की तरह फैल चुकी थी। यह जानकर उनके रिश्तेदार के अलावा साथी के परिवार व महिलाएं भी उनके घर जा रही थी। लेकिन घर के पास गोलू के मित्र उन्हें समझाकर वापस भेज दे रहें थे, ताकि अभी चंद्रशेखर की पत्नी को यह सूचना न मिले। ----------------------- काम के प्रति ईमानदार थे चंद्रशेखर : खुट्टाडीह कोलियरी में काम करने वाले चंद्रशेखर के साथी एवं इलाके के लोगों का कहना था कि वे काम के प्रति काफी ईमानदार थे। समय पर ड्यूटी जाकर काम करते थे एवं अपने दायित्व को निभाते थे। उनका व्यवहार भी काफी सरल था एवं सभी से बेहतर संपर्क रखते थे।