पकड़े जाने के डर से छोड़ दी डीएसपी की नौकरी
जागरण संवाददाता दुर्गापुर रायपुर पुलिस ने आठ वर्ष पुराने आतंकी फंडिग के फरार आरोि
जागरण संवाददाता, दुर्गापुर : रायपुर पुलिस ने आठ वर्ष पुराने आतंकी फंडिग के फरार आरोपित राजू खान को रविवार की रात दुर्गापुर इस्पातनगरी के बी-जोन महिष्कापुर स्थित क्वार्टर से गिरफ्तार कर लिया। उसकी गिरफ्तारी के लिए रायपुर पुलिस ने सादे पोशाक में कई दिन रेकी की, तब जाकर उसे गिरफ्तार करने में सफलता हाथ लगी। रायपुर पुलिस ने खमतराई से वर्ष 2013 के दिसंबर माह में चिकेन-अंडा ठेला लगाने वाले धीरज साव को गिरफ्तार किया। धीरज साव पाकिस्तान के खालिद के संपर्क में था। जो धीरज के खाते में रुपया भेजता था। वह पाकिस्तान से आया रुपया दुर्गापुर के राजू खान, मंगलोर के दंपती जुबैर हुसैन, आयशा बानो और बिहार के पप्पू मंडल के खातों में भेजता था। इन लोगों ने उसके कहने पर कई बैंकों में खाता खुलवाया था। जुबैर एवं आयशा सिमी एवं इंडियन मुजाहिदीन के सदस्य थे। जिनसे राजू का भी संपर्क था। धीरज के साथ राजू का संपर्क वर्ष 2008 से था। उसी समय से राजू के बैंक खाते में आतंकी फंडिग का रुपया आता था। इस दरम्यान उसके बैंक खाते में लाखों रुपया आने की बात सामने आ रही है, जो रुपया उसके खाते में आता था, उसका 13 फीसद अपने पास रखकर वह धीरज के कहे लोगों के बैंक खाते में बाकी रुपया भेज देता था। इन लोगों से संपर्क होने के बाद से राजू का छत्तीसगढ़ के रायपुर, कश्मीर समेत अन्य राज्यों में आना-जाना था। यहां तक की विदेशों में भी उसका आना जाना था। राजू के पास जो रुपया आता था, वह किसे देता था, यह भी जानने की तैयारी में पुलिस जुट गई है। राजू ने कश्मीरी लड़की से शादी भी की थी।
धीरज की गिरफ्तारी के बाद से पता बदलने लगा राजू : आतंकी फंडिग में धीरज की गिरफ्तारी होने के बाद से राजू पता बदलने लगा था। वर्ष 2013 के बाद से ही वह ड्यूटी में भी अनुपस्थित रहने लगा। वहीं विभिन्न राज्यों में जाकर बचने के लिए शरण लेता था। वहीं गिरफ्तारी के डर से ही उसने दुर्गापुर इस्पात संयंत्र (डीएसपी) की नौकरी भी छोड़ दी थी।
कम समय में बड़ा आदमी बनने का सपना : राजू खान ने कम समय में बड़ा आदमी बनने का ख्वाब पाल लिया था। यही वजह है कि डीएसपी में काम करने के दौरान भी पुराने गाड़ियों की खरीद बिक्री के कारोबार से वह जुड़ गया था। यहां तक की काम के दौरान सह कर्मियों से रुपया ठगी भी वह करता था।
आतंकी फंडिग में साथियों की सजा की जानकारी लेना पड़ा भारी : आठ वर्षों से यह मामला चल रहा था। लेकिन रायपुर पुलिस उसे पकड़ नहीं पा रही थी। हालांकि वह मामले की जानकारी हर समय लेता था। इस बीच नवंबर माह के अंतिम सप्ताह में रायपुर कोर्ट ने आतंकी फंडिग के मामले में चार लोगों को सजा सुनाई। उसके नाम पर सजा तो नहीं सुनाई गई है, यह जानने की कोशिश में वह पुलिस के रडार पर आ गया एवं पुलिस ने मोबाइल ट्रैक कर दुर्गापुर में उसकी तलाश शुरु की एवं गिरफ्तार हुआ।