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न्यूनतम समर्थन मूल्य की आस से किसान निराश, बिचौलिया हो रहे मालामाल

रानीडीह पैक्स में धान क्रय केन्द्र खोला जाना चाहिए था। क्रय केन्द्र खुलने से यहां के किसानों को सरकारी दर पर धान का मूल्य प्राप्त होता। चंद्रकिशोर रजक ने कहा कि प्रखंड मुख्यालय समेत आसपास के पैक्सों में धान क्रय केन्द्र नहीं खुलने से किसानों को परेशानी हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 07:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 07:00 AM (IST)
न्यूनतम समर्थन मूल्य की आस से किसान निराश, बिचौलिया हो रहे मालामाल
न्यूनतम समर्थन मूल्य की आस से किसान निराश, बिचौलिया हो रहे मालामाल

रिवर्स मैटर

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जागरण टीम : देवघर जिले में सरकारी स्तर पर धान क्रय के लिए मुकम्मल व्यवस्था बहाल नहीं होने के कारण किसान परेशानी में हैं। जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थापित धान क्रय केंद्रों में अभी धान क्रय की प्रक्रिया इसलिए बाधित है क्योंकि वहां खरीदे गए धान का उठाव मिलों के द्वारा नहीं हो रहा है। किसानों को दूसरी परेशानी धान बेचने के बाद भी हाथ खाली रहना है। ऐसे में किसानों की मजबूरी का लाभ एक बार फिर से बिचौलियों को मिलने की संभावना भी बढ़ती जा रही है।

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फोटो 28 डीईओ 012 से 021, 033 से 037

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पालोजोरी : पालोजोरी प्रखंड क्षेत्र में एक मात्र कांकी में धान क्रय केंद्र खुलने से दूसरे पंचायतों के किसानों को धान बेचने में काफी परेशानी हो रही है। किसान आंनद दे, प्रह्लाद दे,मकबूल मियां, कलाम अंसारी एवं गोरा दास का कहना है पूर्व में प्रखंड क्षेत्र के कई पंचायतों में धान क्रय केंद्र खुला था। इससे किसानों को धान बेचने में आसानी होती थी और वाहन किराया के साथ समय भी बचता था। लेकिन इस बार एकमात्र धान क्रय केंद्र खोले जाने से किसान परेशानी में हैं। बड़जोरी पैक्स के अध्यक्ष बोदी महतो का कहना है कि पूर्व में उनके यहां धान क्रय केंद्र खुला था। जिससे किसानों को धान बेचने में सुविधा होती थी। काकी पैक्स दूर रहने के कारण यहां के किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कहा कि पिछले वर्ष बड़जोरी धान क्रय केंद्र में कसरायडीह, कुंजड़ा बगदाहा व बड़जोरी (चार पंचायतों) के किसान धान बेचते थे लेकिन इस बार यहां धान क्रय की अनुमति नहीं मिली है। बांधडीह पंचायत के नजरुल अंसारी ने कहा कि पूर्व में बांधडीह पैक्स में धान क्रय केंद्र खुला था लेकिन इस वर्ष इस पैक्स को धान क्रय केंद्र खोलने की अनुमति नहीं मिली है जिसके कारण धान अब भी घरों में पड़ा है। सगराजोर पंचायत के पैक्स अध्यक्ष अयूब अंसारी ने कहा कि पूर्व में यहां धान कराई केंद्र था जिससे अगल-बगल गांव के लोगों वह विभिन्न पंचायत के किसानों को धान क्रय करने में सहुलियत होती थी। बताया अब भी दो किसानों धान का बकाया भुगतान ओटीपी के कारण रूका हुआ है। बताया कि प्रतिदिन किसान अपना धान बेचने के लिए पैक्स पहुचते हैं लेकिन धान क्रय की अनुमति नहीं मिलने के कारण किसानों को धान सहित लौटा देते हैं। पालोजोरी के बड़े किसान चेतन दास का कहना है कि अब राइस मिल में ही धान नकद बेचना है। क्रय केंद्र में धान बेचने व धान का भुगतान लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ है। 2018 का सगराजोर धान क्रय केंद्र में 46 क्विटल नौ किलो धान बेचे थे जिसका भुगतान अब तक नहीं हुआ है। विभाग द्वारा सिर्फ तारीख पर तारीख दिया जा रहा है। भक्ति पद दे ने कहा कि उनके गांव में लगभग 45 किसान हैं और यहां के किसान 1000 क्विटल धान की पैदावार करते हैं। कहा कि पहले सगराजोर धान क्रय केंद्र सामने था इसलिए यहीं धान बेचते थे। कांकी धान क्रय केंद्र आना जाना लगभग 36 किलोमीटर पड़ता है जो काफी दूर है। इस वर्ष भी बिचौलियों को 1300 के भाव में नकद में धान बचने का मन बनाया है। नकुल चंद्र मित्र ने कहा कि सगराजोर पंचायत में क्रय केंद्र खुलना चाहिए।

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सारठ: सारठ प्रखंड के 27 पंचायत के किसानों से सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदने के लिये दो पैक्स में धान क्रय केंद्र खोला गया है। हाल यह कि इन धान क्रय केंद्रों में मुकम्मल व्यवस्था बहाल नहीं होने के कारण किसानों को काफी परेशानी हो रही है। पैक्स अध्यक्ष किसानों से धान खरीदने के बजाय अपनी समस्या बताकर रोना-रो रहे हैं। ऐसे में किसान लाचारी में 1300 रूपये प्रति क्विटल की दर बाजार में धान बेच रहे है। किसानों को एक 700 रूपये का घाटा सहना पड़ रहा है। इधर सबेजोर पैक्स में ताला लटकने की वजह से 15 पंचायत के किसान निराश हैं। यहां सारठ, कचुवाबांक, जमुवासोल, डिडाकोली, सधरिया, फुलचुवां, बाभनगांवा, आराजोरी, अलुवारा, बसहाटांड, नवादा, पथरडा, सबेजोर, झिलुवा व बगडबरा पंचायत के किसानों के लिये धान अधिप्राप्ति केन्द्र बनाया गया है। किसानों के मोबाइल पर धान बेचने के लिये मेसेज भेजा जा रहा है लेकिन जब किसान पैक्स में जाते है तो वहां ताला लटका मिलता है। जब किसान पैक्स अध्यक्ष काशी प्रसाद राय से मिले तो उनका कहना था कि 10 दिन पूर्व ही 396 क्विटल धान खरीदा गया है। अभी तक ट्रांसपोर्टर द्वारा धान नहीं उठाया गया है। जब तक मिल में धान नहीं जायेगा किसानों को भुगतान भी नहीं होगा। कहा कि कुल 1400 किसानों से धान खरीदना है। कहा कि एक तो गोदाम में जगह नहीं है और दूसरी ओर जिन किसानों ने धान बेचा है वे भुगतान की मांग करते हैं। ऐसे में किसानों के डर से पैक्स बंद रखना पड़ रहा है। इसी तरह ठाढ़ी पैक्स में ठाढ़ी, कुकराहा, शिमला, चितरा, आसनबनी, पलमा, बडबाद, लगवां, मंझलाडीह समेत 12 पंचायत के किसानों से धान खरीदना है। यहां अभी तक मात्र 314 क्विटल धान खरीदा गया है। पैक्स अध्यक्ष भी सरकारी व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।

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क्या कहते किसान

विभिन्न पंचायतों के किसान निप्पू सिंह, विजय कुमार भोक्ता, विष्णु भोक्ता, विनोद पंडित, अवध बिहारी पंडित, रंजीत सिंह, बालदेव राणा, त्रिवेणी प्रसाद सिंह, रंजीत सिंह, बालेश्वर मंडल, धुरण यादव, लखन भोक्ता, भरतचन्द्र सिंह, फेंकु मोहली, बलेया मुर्म ने संयुक्त रूप से कहा कि सरकार की मंशा किसानों के प्रति ठी नहीं है। प्रखंड के 80 फीसद किसान खेती पर निर्भर हैं। अधिकांश किसान धान बेचकर रबी फसल लगाते हैं तथा अन्य जरूरत के सामान की खरीदते हैं। किसानों ने कहा कि जब तक सरकार की नीति ठोस नहीं बनेगी किसान लूटते रहेंगे।

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बाजार में खुलेआम बिक रहा धान

बाजार, हटिया व चौक-चौराहों पर औने- पौने दाम में खुलेआम धान बिक रहा है। पूछे जाने पर कहा कि स्वर्णा धान 1300 रूपये तथा ललाट 1400 रूपये प्रति क्विटल बिक रहा है।

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क्या कहते पैक्स अध्यक्ष

सबेजोर पैक्स अध्यक्ष काशी प्रसाद राय व ठाढ़ी पैक्स अध्यक्ष आकुब अंसारी ने कहा कि वे लोग खुद परेशा हैं। जो धान खरीदे हैं ट्रांसपोर्टर उसे नहीं रहा है। अभी तक मिल के साथ एकरारनामा भी नहीं हो पाया है। दूसरी ओर किसान धान बेचने के लिये हर दिन परेशान कर रहे हैं।

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चितरा : धान क्रय के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। किसान उज्जवल कुमार ने कहा कि अगर सरकार किसानों की समस्या के प्रति गंभीर है तो फिर प्रखंड में कई स्थानों पर यह सुविधाएं मिलनी चाहिए थी। ठाढ़ी पैक्स में वहां के लोग ही जरूरत के अनुसार धान नहीं बेच पा रहे हैं। अन्य पंचायत वाले कहां से इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे।

मदन चौधरी ने कहा कि अधिकांश किसान साधन विहीन है। अपनी जरूरत से अतिरिक्त धान ही किसान बेचते हैं। परंतु सबेजोर और ठाढी पैक्स ले जाकर धान बेचना बड़ा ही कठिन है। किसान प्रमोद सिंह ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में सारठ प्रखंड में दो ही पैक्स को धान खरीदने के लिए अधिकृत किया गया है। इससे किसानों को सुविधाएं नहीं मिल रही है। लंबी दूरी तय करके किसान अपना धान बेचने में कठिनाई महसूस करते हैं। कम से कम कुकराहा पैक्स अधिकृत अवश्य किया जाना चाहिए था।

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करौं : करौं प्रखंड मुख्यालय करौं समेत रानीडीह, बिरेनगड़िया, सालतर, नागादरी, बदिया, गंजेबारी आदि पंचायत स्थित पैक्सों में धान क्रय केन्द्र नहीं खुलने से किसानों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। प्रखंड में 14 पैक्स हैं। लेकिन मात्र सिरसा एवं बघनाडीह पैक्स में क्रय केन्द्र खुला है। उपरोक्त सभी पंचायत के किसान इन क्रय केन्द्रों में धान बेच पाना मुश्किल है। जिस कारण इन पंचायत के किसान औने पौने दामों में अपनी खून पसीने की गाढ़ी कमाई को बिचैलियों के हाथों बेच रहे है। प्रत्येक दिन यहां धान से लदा ट्रक बंगाल रवाना होता है। किसान आनंद मंडल ने कहा कि धान क्रय केन्द्र नहीं खुलने के कारण किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। कड़ी मेहनत व पूंजी लगाने के बाद भी सरकार की लापरवाही के कारण बिचैलियों के हाथों औने-पौने दामों पर धान बेचना पड़ रहा है। चांदचैरा के किसान नारायण सिंह ने कहा कि सरकार किसानों की फसल खरीदने की सिर्फ घोषणा करती है। लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। करौं पैक्स में धान क्रय केन्द्र खुलना चाहिए था। मनोहर रजक ने कहा कि

पिछले कई वर्षों से करौं पैक्स में धान क्रय केन्द्र नहीं खुल पाया है। जिससे स्थानीय किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है। शिवलाल मंडल ने कहा कि करौं व रानीडीह पैक्स में धान क्रय केन्द्र खोला जाना चाहिए था। क्रय केन्द्र खुलने से यहां के किसानों को सरकारी दर पर धान का मूल्य प्राप्त होता। चंद्रकिशोर रजक ने कहा कि प्रखंड मुख्यालय समेत आसपास के पैक्सों में धान क्रय केन्द्र नहीं खुलने से किसानों को परेशानी हो रही है।


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