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सिलीगुड़ी में पूजा के साथ पर्यावरण की भी चिंता, पंडालों से सचेत करने का हो रहा प्रयास

पूर्वोत्तर के प्रवेश द्वारा सिलीगु़ड़ी में पूजा के साथ पर्यावरण संरक्षण का भी ध्यान रखा जा रहा है। यहां के तकरीबन सभी पंडाल इको फ्रेंडली बनाए जा रहे हैं।

By Rajesh PatelEdited By: Published: Thu, 11 Oct 2018 01:07 PM (IST)Updated: Thu, 11 Oct 2018 05:35 PM (IST)
सिलीगुड़ी में पूजा के साथ पर्यावरण की भी चिंता, पंडालों से सचेत करने का हो रहा प्रयास
सिलीगुड़ी में पूजा के साथ पर्यावरण की भी चिंता, पंडालों से सचेत करने का हो रहा प्रयास

 सिलीगुड़ी [जागरण संवाददाता]। पूर्वोत्तर के प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी में पूजा भी पर्यावरण की चिंता करते हुए की जाती है। दुर्गापूजा पंडालों में इको फ्रेंडली सामान का तो उपयोग हो ही रहा है, थीम से भी पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संदेश दिया जा रहा है। कहीं-कहीं विरासतों को भी बचाने की अपील थीम के माध्यम से की जा रही है।बंगाल की संस्कृति कलात्मकता रची-बसी है। नृत्य-संगीत के साथ साहित्य के भी प्रति यहां के लोगों का खासा रुझान है। यह हर साल दुर्गापूजा के दौरान भी दिखती है, इस साल भी दिख रही है। इस महापर्व को लोग खुले दिल से मनाते हैं। खर्च भी खूब होता है। 
विद्याागर क्लब का पंडाल।
वैसे तो सिलीगुड़ी में सैकड़ों स्थानों पर पंडाल स्थापित कर देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, लेकिन इनमें जो खास हैं, उनमें से अधिकतर की थीम पर्यावरण की सुरक्षा आधारित ही है।
सूर्यनगर का पंडाल, जहां आप मधुमक्खियों के छत्तों से आप उनकी भिनभिनाहट भी सुनेंगे।
सूर्यनगर में फ्रेंड्स यूनियन के पंडाल को ही लें तो वहां जाने पर आभास होगा कि मधुमक्खियों के अनगिनत छत्तों के बीच आ गए हैं। कलर, लाइट और साउंड का भी बेहतर तालमेल रहेगा। मधुमक्खियों की भिनभिनाहट सुनाई देगी। इसके माध्यम से संदेश दिया जा रहा है कि जंगल कम होने से तथा लोगों में बागवानी के प्रति रुचि न होने से हमें अमृत जैसा शहद देने वाली मधुमक्खियों का अस्तित्व खतरे में है। इनको बचाने के लिए हमें पेड़ लगाने होंगे। क्योंकि असल समस्या तो इनके लिए ये हो गई है कि छत्ता कहां लगाएं, जो सुरक्षित रहे।  
जातीय शक्तिसंघ व पाठागार का सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बन रहा भव्य पंडाल।
जातीय शक्ति संघ ने सोमनाथ मंदिर का मॉडल पूरी तरह से सन और इसकी संठी से तैयार किया जा रहा है। यहां विरासत तथा पर्यावरण संरक्षण दोनों का संदेश दिया जा रहा है। सुब्रतो संघ का भी यही प्रयास है। 
दादाभाई स्पोर्टिंग क्लब द्वारा यज्ञ का महत्व बताया जाएगा। यहां यज्ञ की वेदी से मां दुर्गा के अवतरण को दिखाया जाएगा। यज्ञ से पर्यावरण को किस तरह से फायदा होता है, इसका भी संदेश दिया जाएगा। वेदी से मां दुर्गा के अवतरण को इसलिए दिखाया जाएगा, ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा यज्ञ करें और हमारा वातावरण अच्छा बना रहे। 

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 मिलन युवक वृंद क्लब का बन रहा पंडाल ।
कॉलेजपाड़ा में पेड़-पौधों को न काटने की नसीहत दी जा रही है तो बागडोगरा में विश्व बांग्ला का संदेश दिया जाएगा। हाकिमपाड़ा में महाभारत की कुंती के आवास को दिखाया जा रहा है। विद्यासागर क्लब ने भी पर्यावरण के संरक्षण को ही अपनी थीम बनाई है।  
हाकिमपाड़ा स्थित जेटीएस क्लब द्वारा कैलाश पर्वत की तर्ज पर पूजा पंडाल का निर्माण कराया जा रहा है। श्रद्धालुओं को एहसास होगा कि वे मानों साक्षात कैलाश पर्वत को देख रहे हैं। बहुत ही खुबसूरती के साथ पंडाल का निर्माण किया जा रहा है। क्लब की ओर से प्रांतोष साहा ने बताया इस वर्ष पूजा के माध्यम से श्रद्धालुओं को ग्लोबल वर्मिंग के प्रति सचेत किया जाएगा। जगह जगह पर पोस्टर लगाए जाएंगे। इसके माध्यम से अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए आह्वान किया जाएगा। प्लास्टिक कैरी बैग का प्रयोग न करें। इसके लिए भी अपील की जाएगी। नवांकुर संघ में ढोलक के माध्यम से पंडाल सजाया जा रहा है। 


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