विश्व हाथी दिवस: प्रोजेक्ट एलिफेंट की प्राथमिक रिपोर्ट में हाथियों की संख्या कम हुई
विश्व हाथी दिवस के अवसर पर छात्रों ने पालतू हाथी के साथ समय बिताया। हाथियों के रहन-सहन, खाने समेत विभिन्न तथ्यों के बारे में छात्रों को आवश्यक जानकारियां दी गई।
जलपाईगुड़ी, जागरण संवाददाता। उत्तर बंगाल के जंगलों में गत तीन वर्षो में हाथियों की संख्या में कमी आई है? रविवार को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर उक्त प्रश्न ही परिवेश प्रेमी संस्था व वन अधिकारियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन वन अधिकारियों की माने तो जिस गणना के आधार पर प्रोजेक्ट एलिफेंट ने रिपोर्ट प्रकाशित की है, वह अभी भी पूरा नहीं हुआ है।
गणना पूरा होने पर हाथी की संख्या में और बढ़ोतरी होगी। क्योंकि पिछले कुछ समय से डुवार्स में हाथियों की गतिविधि देखा जाए तो निश्चित है कि हथियों की संख्या बढ़ी है। संख्या 600 के पार भी जा सकती है। परिवेश प्रेमी संस्था के विश्वजीत दत्त चौधरी ने कहा कि संकोश से मेची असम डुवार्स सीमांत से सटे मध्यवर्ती डुवार्स में हाथियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है।
इसका प्रमाण पिछले कुछ दिनों में लगातार हो रहा हाथियों का हमला है। लेकिन प्रोजेक्ट एलिफेंट की रिपोर्ट देखकर सभी आश्चर्यचकित है। राज्य वन विभाग की रिपोर्ट माने तो वर्ष 2002 में उत्तर बंगाल के जंगलों में हाथियों की संख्या 293 बताई गई। जो 2005 में 350 तक पहुंच गई। लेकिन वर्ष 2007 में विभिन्न घटनाओं के चलते हाथियों की संख्या में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। इसके बाद वर्ष 2010 में हाथियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई। जो बढ़कर 529 तक पहुंच गई। फिर वर्ष 2014 में उत्तर बंगाल के जंगल में हाथियों की संख्या बढ़कर 590 हो गई। गत वर्ष प्रोजेक्ट एलिफेंट ने देश के जंगलों में हाथियों की गणना शुरू की थी।
इस क्रम में राज्य के वनकर्मियों को लेकर मार्च महीने से मई महीने तक उत्तर बंगाल के जंगलों में भी हाथियों की गणना की गई। इस प्रणाली को डायरेक्ट ब्लॉक काउंट मेथड नाम दिया गया था। यहां जंगल के एक सीमा को बांटकर हाथियों पर निगरानी रखी जा रही थी। गोरूमारा वन विभाग के अधिकारी निशा गोस्वामी ने कहा कि इस प्रणाली से पहले कभी हाथियों की गणना नहीं हुई है। पूरे राज्य में गणना का काम चल रहा है।
लेकिन अब तक संपूर्ण रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है। प्रोजेक्ट एलिफेंट के प्राथमिक रिपोर्ट से पता चला है कि उत्तर बंगाल में हाथियों की संख्या 488 है। वहीं दक्षिण बंगाल में 134 है। जो 2014 में जारी वन विभाग की रिपोर्ट से मेल नहीं खाता है। उत्तर बंगाल वन्यप्राणी के प्रधान वनपाल उज्ज्वल घोष ने कहा कि रिपोर्ट संपूर्ण नहीं हुई है। पूरा रिपोर्ट आने के बाद हाथियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
रविवार को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर छात्रों ने पालतू हाथी के साथ समय बिताया। हाथियों के रहन-सहन, खाने समेत विभिन्न तथ्यों के बारे में छात्रों को आवश्यक जानकारियां दी गई। वहीं धुपझोड़ा में वन विभाग की ओर से हाथी पालकों के लिए नेत्र जांच शिविर का आयोजन किया गया था। समाजसेवी संगठनों ने नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।