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West Bengal: लिंचिंग व एससी-एसटी बिल पर चर्चा को राज्यपाल ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

Jagdeep Dhankhar. राज्यपाल के प्रेस सचिव की ओर से जारी बयान में कहा गया है राज्य विधानसभा में विधायक दलों के आठ नेताओं को राज्यपाल ने बैठक में बुलाया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 05:09 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 05:09 PM (IST)
West Bengal: लिंचिंग व एससी-एसटी बिल पर चर्चा को राज्यपाल ने बुलाई सर्वदलीय बैठक
West Bengal: लिंचिंग व एससी-एसटी बिल पर चर्चा को राज्यपाल ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

कोलकाता, जागरण संवाददाता। Jagdeep Dhankhar. बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने लंबित पड़े लिंचिंग, एससी-एसटी विधेयक पर चर्चा को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। बैठक 17 जनवरी को राजभवन में बुलाई गई है, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत विधानसभा में विभिन्न विधायक दलों के आठ नेताओं को बुलाया गया है। राज्यपाल ने यह बैठक अनुशंसा के लिए उनके पास लंबित पड़े लिंचिंग और एससी-एसटी कमीशन गठन से संबंधित विधेयकों पर चर्चा के लिए बुलाई है। दरअसल, राज्यपाल इस विधेयक पर हस्ताक्षर करने से पहले विधेयक को लेकर नेताओं से इनपुट लेना चाहते हैं।

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विधानसभा ने गत मानसून सत्र (सितम्बर 2019) में ही द वेस्ट बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) बिल, 2019 और द वेस्ट बंगाल स्टेट कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट शेड्यूल ट्राइब बिल, 2019 पारित किया था जो राज्यपाल के अनुममोदन के लिए राजभवन में लंबित है।

राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राजभवन के प्रयासों के बावजूद उक्त बिल पर न तो विधानसभा से और ना ही राज्य सरकार से इनपुट उपलब्ध कराया गया है। इसे लेकर अब राज्यपाल ने सर्वदलीय बैठक का आह्वान किया है। कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से दोनों विधेयक में तथ्यात्मक रूप से संतोषजनक जानकारी नहीं है, लिहाजा इसे मंजूरी नहीं दी जा सकी है।

राज्यपाल के प्रेस सचिव की ओर से जारी बयान में कहा गया है राज्य विधानसभा में विधायक दलों के आठ नेताओं को राज्यपाल ने बैठक में बुलाया है, जिनमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, नेता प्रतिपक्ष अब्दुल मन्नान (कांग्रेस), वाममोर्चा विधायक दल के नेता डॉक्टर सुजन चक्रवर्ती व अन्य का नाम शामिल है। बयान में कहा गया है उक्त आठ नेताओं को भेजे गए संवाद में राज्यपाल ने प्रासंगिक विवरण दिया है, जो कि बिल पर विचार के लिए शुरू हुए गतिरोध के संबंध में है। 

बंगाल विधानसभा में एससी, एसटी आरक्षण विधेयक पारित

बंगाल विधानसभा ने गुरुवार को अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को मिलने वाले आरक्षण को 10 साल तक आगे बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी। इस बाबत संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने सदन में प्रस्ताव रखा जिसे दो-तिहाई बहुमत से पारित कर दिया गया। अब इसे केंद्र को भेजा जाएगा।

संविधान संशोधन विधेयक की अभिपुष्टि के लिए विधानसभा का दो घंटे के लिए एक दिवसीय विशेष सत्र आयोजित किया गया था। विधेयक 11 दिसंबर को संसद से पारित हो चुका है। यह 25 जनवरी 2020 से 10 साल के लिए यानी 2030 तक प्रभावी रहेगा। इससे पहले प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि राज्य सरकार हमेशा एससी, एसटी, ओबीसी, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का ख्याल रखती है। हमने वर्तमान में इसी के तहत उक्त विधेयक को मंजूरी देने का काम किया है।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष, कांग्रेस के अब्दुल मन्नान ने कहा कि हाल ही में सरकार की ओर से यह आरोप लगाया गया कि कुछ विधेयक जिसमें कि एससी-एसटी विधेयक भी शामिल है, को राजभवन में रोक कर रखा गया है और इसमें कुछ विपक्षी विधायकों की भी सहभागिता है। मैं यह मांग करता हूं कि पार्टी लाइन से इतर हमें ऐसे विधायकों की पहचान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं अध्यक्ष से आग्रह करता हूं कि राज्यपाल के साथ कथित तौर पर साजिश रचने वाले कुछ विधायकों के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाएं।

माकपा सदस्य अशोक भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा दलितों और ईसाइयों के खिलाफ है, जबकि राज्य में तृणमूल सरकार उनकी दुर्दशा को दूर करने के लिए ठोस कदम नहीं उठा रही है। भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्ववर्ती वाममोर्चा सरकार ने 50 लाख किसानों को जमीन मुहैया कराई थी जिसमें से एक बड़ा हिस्सा आदिवासियों को मिला था।

विपक्षी सदस्यों को जवाब देते हुए शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि भट्टाचार्य के दावे खोखले हैं, माकपा ने 34 वषरें के शासन के दौरान राज्य में एससी, एसटी और आदिवासियों की स्थिति में सुधार के लिए कुछ भी नहीं किया। चटर्जी ने कहा कि वर्तमान सरकार में ढाई लाख लोगों को स्थाई नौकरी मिली है, जिनमें अधिकतर एससी-एसटी वर्ग से हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष को कुछ चीजें सकारात्मक नजरिए से भी देखना चाहिए। इसके पश्चात विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने सदन की कार्यवाही को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का आदेश दिया।

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