Move to Jagran APP

West Bengal :दांत वाली बच्ची जन्मी, नवजातों में जन्मजात दांतों का मामला अपने आप में विरला होता

गुरुंग बस्ती में एक दंपति को दांत वाली बच्ची जन्मी। अर्थात बच्ची को पैदाइशी दो दांत थे। यह मामला अपने आप में विरला होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 13 Jul 2020 01:58 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jul 2020 02:12 PM (IST)
West Bengal :दांत वाली बच्ची जन्मी, नवजातों में जन्मजात दांतों का मामला अपने आप में विरला होता
West Bengal :दांत वाली बच्ची जन्मी, नवजातों में जन्मजात दांतों का मामला अपने आप में विरला होता

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। शहर के तीन नंबर वार्ड अंतर्गत गुरुंग बस्ती में एक दंपति को दांत वाली बच्ची जन्मी। अर्थात, बच्ची को पैदाइशी दो दांत थे। यह मामला अपने आप में विरला होता है। इसे लेकर परिवार के लोग चिंतित हो उठे।

loksabha election banner

क्योंकि, एक नवजात के मुंह में दांतों का होना बहुत मुसीबतों भरा था। वह यह कि मुंह खुलने व बंद होने के क्रम में उन दांतों से नवजात बच्ची का नाजुक तालू जख्मी हो सकता था। इसके साथ ही वे दांत इतने मजबूत भी नहीं थे कि टिके रह पाएं। वे टूट कर बच्ची के गले, श्वसन नली व पेट के अंदर भी जा कर फंसे रह सकते थे। इससे नन्ही मासूम सी जान को बड़ी मुसीबतें हो जातीं।

ऐसी विकट परिस्थिति में माता-पिता ने बच्ची को मात्र सात दिन उम्र की अवस्था में शहर के जाने-माने दंत रोग विशेषज्ञ डाॅ. एस. एस. अग्रवाल को दिखाया। उन्होंने आवश्यक जांच पड़ताल कर चार दिनों बाद सफल सर्जरी करके बच्ची के जन्मजात दांतों को निकाल बाहर कर दिया। इस मुसीबत के टलने के बाद नन्ही मासूम सी जान को राहत पहुंची।

डाॅ. एस. एस. अग्रवाल ने कहा कि नवजातों में जन्मजात दांतों का मामला अपने आप में बड़ा विरल होता है। इसकी सर्जरी भी आम नहीं होती है। आम वयस्क लोगों की सर्जरी की तुलना में एक 10-12 दिन उम्र मात्र के नवजात की सर्जरी बहुत ही नाजुक होती है। उस नन्ही सी जान को न तो एनेस्थेसिया का इंजेक्शन दे सकते हैं और न ही उसका स्प्रे ही कर सकते हैं। व्यस्क लोग तो बहुत कुछ बर्दाश्त भी कर लेते हैं और सर्जरी में डाॅक्टर को सपोर्ट भी करते हैं।

मगर, एक नन्ही मासूम सी जान में न उतनी मजबूती व शक्ति होती है कि वह दर्द बर्दाश्त कर पाए और न ही उतनी समझ कि वह सर्जरी में डाॅक्टर को सपोर्ट कर पाए। सो, एक एकदम नवजात की सर्जरी बड़ी नाजुक होती है। ऐसे मामलों में रूई के फाहे पर थोड़ा एनेस्थेटिक एजेंट लेकर नवजात के मसूड़ों पर उसका उपयोग किया जाता है। उसके बाद सर्जरी की जाती है। हालांकि, ऐसे मामलों में सर्जरी पर रक्तस्राव के अनियंत्रित हो जाने का भी रिस्क बना रहता है। खैर, हमने उसे भलीभांति अंजाम दिया। नवजात बच्ची अभी बेहतर है और स्वास्थ्य लाभ ले रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि, जन्मजात दांत क्यों होते हैं इसका वास्तविक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। मगर, एक अनुमान के तहत यह कहा जाता है कि कुछ स्वास्थ्य जनित समस्याओं के कारण ही ऐसा होता है। इससे शरीर की वृद्धि भी प्रभावित हो जाती है।

गौरतलब है कि सांस्कृतिक व सामाजिक रूप में, नवजातों में जन्मजात दांतों को लेकर तरह-तरह की मान्यताएं हैं। कहीं इसे बहुत शुभ तो कहीं अशुभ माना जाता है। कहीं यह मान्यता है कि जन्मजात दांतों वाले बच्चों का भविष्य बहुत उज्ज्वल होता है तो कहीं यह भी मान्यता है कि ऐसे बच्चों का भविष्य बेहतर नहीं रहता है। पर, विज्ञान की कसौटी पर ऐसी आधारहीन मान्यताओं को अंधविश्वास ही कहा जाता है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.