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WB SSC Scam: नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के वीसी सुबीरेश भट्टाचार्य को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार

बंगाल में शिक्षक नियुक्ति घोटाला की जांच कर रही सीबीआइ ने आज सोमवार को फिर बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने लंबी पूछताछ के बाद उत्‍तर बंगाल यूनिवर्सिटी के वीसी सुबीरेश भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर लिया है। -

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Mon, 19 Sep 2022 04:36 PM (IST)Updated: Mon, 19 Sep 2022 05:00 PM (IST)
WB SSC Scam: नार्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के वीसी सुबीरेश भट्टाचार्य को सीबीआइ ने किया गिरफ्तार
बंगाल यूनिवर्सिटी के वीसी सुबीरेश भट्टाचार्य की फाइल फोटो।

सिलीगुड़ी, जागरण टीम। बंगाल में शिक्षक नियुक्ति घोटाला की जांच कर रही सीबीआइ ने आज सोमवार को फिर बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआइ ने लंबी पूछताछ के बाद स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) के पूर्व अध्यक्ष व उत्‍तर बंगाल यूनिवर्सिटी के वीसी सुबीरेश भट्टाचार्य को गिरफ्तार कर लिया है। वे 2014 से 2018 तक स्‍कूल सर्विस कमीशन के चेयरमैन रहे हैं। सीबीआइ ने उन्‍हें पूछताछ के लिए कोलकाता तलब किया था। मगर पूछताछ में वे असहयोग कर रहे थे। पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी के आमने-सामने पूछताछ में भी सुबीरेश ने सहयोग नहीं किया, जिसके कारण सीबीआइ ने उन्‍हें गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले में यह छठी गिरफ्तारी है। इससे पहले बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी, उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी, एसएससी की सलाहकार समिति के सदस्य शांति प्रसाद सिन्हा व अशोक साहा और पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष कल्याणमय गंगोपाध्याय को गिरफ्तार किया जा चुका है। पार्थ और अर्पिता को ईडी ने गिरफ्तार किया था जबकि बाकी चारों गिरफ्तारियां सीबीआइ ने की है।

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घोटाला में किसी वीसी की यह पहली गिरफ्तारी

कलकत्‍ता हाई कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ शिक्षक नियुक्ति घोटाला की जांच कर रही है। सुबीरेश भट्टाचार्य पर आरोप है कि उन्‍होंने नियम विरुद्ध कम अंक पाने वाले और अयोग्‍य अभ्‍यर्थियों की शिक्षक के पद पर नियुक्ति में मदद की थी। बता दें कि 2016 में बंगाल स्‍कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) द्वारा आयोजित असिस्‍टेंट शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए राज्‍य स्‍तरीय परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा परिणाम में कम अंक पाने के बावजूद अयोग्‍य अ‍भ्‍यर्थियों को नियुक्ति दे दी गई थी, जिससे सैंकड़ों योग्‍य अभ्‍यर्थी नौकरी से वंचित हो गए थे।घोटाले की न्यायिक जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट की ओर से गठित बाग कमेटी की रिपोर्ट में भी आरोपित के तौर पर सुबीरेश का नाम है। गिरफ्तारी से पहले सीबीआइ ने सुबीरेश से कई बार पूछताछ की। उनके निवास स्थल की भी केंद्रीय जांच एजेंसी तलाशी ले चुकी है। घोटाले में किसी विश्वविद्यालय के कुलपति की यह पहली गिरफ्तारी है।

सुबीरेश को मंगलवार को अदालत में पेश कर सीबीआइ अपनी हिरासत में लेने की कोशिश करेगी। पार्थ समेत गिरफ्तार अन्य सभी इस समय सीबीआइ की ही हिरासत में हैं। 

ईडी ने अदालत में जमा की चार्जशीट, पार्थ-अर्पिता के नाम

दूसरी तरफ इस मामले में ईडी ने सोमवार को अपनी पहली चार्जशीट बैंकशाल कोर्ट में जमा की। अदालत सूत्रों के मुताबिक 172 पन्नों की इस चार्जशीट में पार्थ और अर्पिता के नाम हैं। चार्जशीट में दोनों की कई कंपनियों का जिक्र किया गया है। अब तक पार्थ और अर्पिता के नाम वाली कुल 103 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई हैं। पार्थ-अर्पिता की गिरफ्तारी के 58 दिनों में चार्जशीट जमा की गई है।

सीबीआइ को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं पार्थ, सिन्हा और गांगुली!

इस बीच सीबीआइ ने दावा किया है कि पार्थ चटर्जी, शांति प्रसाद सिन्हा और कल्याणमय गांगुली जांच में सहयोग नहीं कर रहे और गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं। सीबीआइ तीनों को अपनी हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। तीनों को जब साथ बिठाकर पूछताछ की गई तो वे एक-दूसरे से इशारों में बातें करते नजर आए। तीनों के बयान भी बिल्कुल भिन्न हैं। पार्थ ने कहा कि उन्हें अंधेरे में रखकर यह सारा कुछ किया गया। सिन्हा का कहना है कि उन्होंने आला अधिकारियों के कहने पर गैरकानूनी तरीके से नियुक्तियों की सिफारिशें की थीं, वही गांगुली का कहना है कि नियुक्ति पत्रों पर उनके डिजिटल हस्ताक्षर हैं। उन्होंने किसी भी नियुक्ति पत्र पर हस्ताक्षर नहीं किया था।


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